'...होली रे रसिया'
रंगों का त्यौहार होली भारत के खास उत्सवों में एक. उत्तरी, पश्चिमी और पूर्वी भारत में मनाया जाने वाला अहम उत्सव.
रंग बिरंगा
फाग, होली के नाम से जाना जाने वाला यह त्यौहार काफी धूमधाम से मनाया जाया है. यह परंपरा हिंदू धर्म से जुड़ी हुई है. पूनम की रात होलिका दहन होता है और अगले दिन रंग खेले जाते हैं जिसे धुलंडी या धूलिवंदन भी कहते हैं.
पौराणिक पृष्ठभूमि
एक पौराणिक कथा के अनुसार राजा हिरण्यकश्यप ने गुस्से में अपने बेटे को जलाने के लिए उसे अपनी बहन होलिका की गोद में बिठा दिया. लेकिन विष्णु की कृपा से कहानी में प्रह्लाद बच जाता है और होलिका जल जाती है.
अच्छे की जीत
इसलिए होलिका जला कर बुरे पर अच्छे की जीत का त्यौहार मनाया जाता है. हालांकि जलाने के लिए पेड़ों के काटे जाने पर सवाल भी उठाए जाते हैं.
लठमार होली
बरसाने के राधा रानी मंदिर में खास लठमार होली होती है. पुरुष महिलाओं को छेड़ने के लिए ब्रज भाषा में होली गीत गाते हैं और महिलाएं घूंघट ले, हाथ में डंडा लिए उन्हें मारने दौड़ती हैं.
कान्हा के गांव
भगवान कृष्ण के जन्मस्थल मथुरा में कई दिन होली चलती है. इस दिन विशेष पूजा के साथ रंग गुलाल, अबीर खेला जाता है और राधा कृष्ण वाले होरी गीत गाए जाते हैं.
होली है
होली के दिन महिला, पुरुष, बच्चे बूढ़े सभी शामिल होते हैं. दोस्तों के घर जा कर उन्हें रंग लगाना. चाय नाश्ता, मिठाई इस दिन का खास होता है. कई राज्यों में इस मौके पर भांग पीने की परंपरा भी होती है.
अलग अलग परंपरा
कुमाऊं में खड़ी होली होती है, तो राजस्थान में इस त्यौहार पर श्लील गालियां गाने की परंपरा है. द्विअर्थी रचनाओं में समधन को छेड़ते हुए गालियां गाई जाती है.
खेलने का तरीका
पारंपरिक तौर पर केसर या पलाश या टेसू के फूलों से रंग बनाया जाता था. सूखे गुलाल, हल्दी, के अलावा पिचकारी में रंगीन पानी भर कर भी होली खेली जाती है. बच्चे गुब्बारे में पानी भरकर फेंकते हैं. कुछ लोग कृत्रिम रंगों का इस्तेमाल भी करते हैं जो त्वचा के लिए हानिकारक हो सकता है.
प्लास्टिक
किसी समय में चांदी, सोने, पीतल की बनी पिचकारियों की जगह अब प्लास्टिक ने ले ली है. बच्चों के लिए अलग अलग रंग और आकार की पिचकारियां बाजार में उपलब्ध हैं.
विदेशों में भी
होली की दीवानगी सिर्फ भारत ही नहीं. बल्कि विदेशों में भी है. ब्रिटेन, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मूल के लोग ये त्यौहार मनाते हैं. लेकिन जर्मनी में होली का आयोजन करने वालों में जर्मन हैं और इसका मजा लेने वाले अधिकतर जर्मन युवा.