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हैदराबाद में खुलेगा कैदियों का बीपीओ

१२ मई २०१०

दक्षिण भारतीय शहर हैदराबाद की जेल से चलाया जाएगा एक बीपीओ. जेल के पढे लिखे कैदी होंगे इसके कर्मचारी. इस प्रोजेक्ट का मक़सद है कैदियों का सुरक्षित भविष्य और रिहाई के बाद काम ढूंढने में आसानी.

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तस्वीर: AP

भारत के प्रौद्योगिकी हब हैदराबाद की चेरलापल्ली जेल में खुलेगा ऐसा सबसे पहला बीपीओ जिसमें कैदी काम करेंगे. रिपोर्ट के मुताबिक जेल अधिकारी, भारतीय सूचना प्रौद्यागिक कंपनी रेडियंट इंफो सिस्टम लिमिटेड के साथ साझेदारी में काम करेंगे. ये कंपनी इस प्रोजेक्ट में पैसा लगाएगी और जेल विभाग जगह और शिक्षित कैदियों को तैयार करने की ज़िम्मेदारी लेगा.

आंध्र प्रदेश के जेल प्रमुख सी.एन. गोपीनाथन रेड्डी ने बताया कि इस यूनिट में 250 कैदियों को काम दिया जा सकता है. पहले इन कैदियों को ट्रेनिंग दी जाएगी और फिर वह कंपनी का हिस्सा बन जाएंगे. उन्होने कहा, "शुरूआती दौर में इस बीपीओ में काम करने वाले कैदियों को फोन का इस्तेमाल नहीं करने दिया जाएगा जैसे की आम कॉल सेन्टर्स में करना पड़ता है. वह पहले बैंक संबंधित डेटा प्रविष्टि और हस्तांतरण जैसे कार्य संभालेंगे."

इस पूरे आपरेशन का मक़सद है इन कैदियों को मुख्य धारा में शामिल होने को आसान बनाना. रेड्डी ने कहा, " कैदियों को रिहाई के बाद उचित काम ढूंढना मुश्किल हो जाता है. तो इस तरीके से इन्हें थोड़ा अनुभव भी हासिल होगा और नियोक्ताओं को इन को जानने का मौक़ा भी मिलेगा."

भारत को व्यापार आउटसोर्सिंग सेवा क्षेत्र के नेताओं में गिना जाता है. भारतीय कंपनी नैसकौम के मुताबिक पिछले दशक में ही इस उद्योग का निर्यात राजस्व 11 अरब डॉलर तक पहुंच गया. भारत हर साल लगभग 700,000 लोगों को रोज़गार देता है और विश्व भर के बीपीओ बाज़ार का 35 फीसदी से ज़्यादा का हिस्सा भारत के हाथ में है

रिपोर्ट: डीपीए/श्रेया कथूरिया

संपादन: महेश झा