1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

हिजाब को फैशन से मिला दिया कॉसप्ले ने

२६ जुलाई २०१७

धार्मिक आस्था और फैशन एक दूसरे के रास्ते में बाधा ना बनें, इसके लिए दुनिया भर में नये नये तरीके निकाले जा रहे हैं. इंडोनेशिया में इन दिनों हिजाब को फैशनेबल और आकर्षक बनाने का चलन जोर पकड़ रहा है.​​​​​​​​​​​​​​

https://p.dw.com/p/2h9HM
Screenshot Instagram queenofluna
तस्वीर: Instagram/queenofluna

हिजाब वाली डिज्नी प्रिंसेस

नीले रंग की सिंड्रेला वाली ड्रेस पहनने के बाद सिंड यांती बड़ी सावधानी से पीले रंग के हिजाब को इस तरह से तह लगा कर सिर पर लगाती हैं कि वह उनके बालों जैसा दिखने लगता है. 24 साल की इंडोनेशियाई डिजायनर अपने नये लिबास में कई सारी सेल्फी लेने के बाद कहती हैं, "हिजाब पहनना किसी चीज के लिए बाधा नहीं होनी चाहिए. हम इसमें क्रिएटिव होने के लिए आजाद हैं." यांती ने इसे नया नाम दिया है 'कॉसप्ले' जो दो शब्दों कास्टूयम और प्ले से मिल कर बना है. वो कॉसप्ले के नाम से अपने फैशन शो भी करती हैं.

दक्षिण पूर्वी एशिया में ऐसी महिलाओं की तादाद बढ़ रही है जो हिजाब को सिर्फ सिर ढंकने तक सीमित नहीं रखना चाहतीं. वे इसके साथ प्रयोग कर रही हैं और ऐसे तरीके ढूंढ रही हैं जिससे इन्हें आकर्षक, रंगीन, सुंदर, आधुनिक और फैशनेबल बनाया जा सके. वे उन्हें अलग अलग रंग रूपों में ढाल रही हैं.

यांती का फैशन डिज्नी और जापान के एनिमेशन चरित्रों से प्रेरित है. इनके डिजायन किये हिजाब विग या फिर हुड जैसे नजर आते हैं. यांती का कहना है कि इस्लामी मान्यता के मुताबिक लिबास को शालीन रखने के बावजूद वह अपनी भावनाओं को इनमें डाल पा रही हैं. उनकी बनाये डिजायनों की कीमत औसतन भारतीय रूपये में 1200 से 2000 रूपये के बीच रहती है.

पड़ोस के मुस्लिम बहुल देश मलेशिया में भी फैशन की बड़ी मांग है. यहां के युवा सुपरहीरो, योद्धा या फिर राजकुमारियों के रूप में खुद को सजाते हैं. हाल ही में वहां राजधानी कुआलालंपुर में इस तरह का एक फैशन शो हुआ था. इनमें 20 साल की छात्रा नुरस्यामिमि मिनहालिया भी थीं जिन्होंने काले रंग के हिजाब को इस तरह से पहन रखा था कि वह बीच से कट कर दो जूड़ों की तरह नजर आ रही थीं. 

यांती ने 2012 में जब कॉसप्ले शुरू किया था तब इसमें हिजाब को शामिल नहीं किया था लेकिन बाद में वह हिजाब पहनने से प्रभावित हुईं और वह भी कॉसप्ले का हिस्सा बन गया. मिनहालिया कहती हैं, "ये बहुत चुनौती भरा है, आमतौर पर मैं ऐसे चरित्र उठाती हूं जो मेरे पूरे शरीर को ढंक सके, ताकि मुझे मुस्लिमा तरीके से इसे पहनने में सुविधा हो." मुस्लिमा अरबी का शब्द है जिसका मतलब है मुस्लिम औरत.

कपड़े के जरिये चरित्रों का खेल यानी कॉस्ट्यूम रोलप्ले लोगों का बहुत पुराना शौक है. इसके जरिये लोग अपने पसंदीदा किरदारों में ढल कर उसके जैसे कपड़े और बालों का स्टाइल बनाते हैं. 48 साल की शरीफा माजनाह सैयद मोहम्मद का बेटा एक उत्साही कॉसप्लेयर है. शरीफा कहती हैं कि इस शौक को अपनाने की इजाजत तभी तक है जब तक कि इसमें हिस्सा लेने वाले धार्मिक सीमाओं के भीतर रहें.

यांती भी कहती हैं कि हिजाब कॉसप्ले ने उन्हें अपनी आस्था के प्रति ईमानदार बने रहने के साथ कॉसप्ले का मजा लेने में मदद की है. वह कहती हैं, "अगर मैं कॉसप्ले की वजह से अपना हिजाब हटा दूंगी, तो मुझे अपने आप पर अफसोस होगा."

एनआर/एके (रॉयटर्स)