हिंसक हुए कंबोडिया के प्रदर्शन
३ जनवरी २०१४कपड़ा उद्योग कंबोडिया की अर्थव्यवस्था का अहम आधार है और निर्यात से पैसे कमाने का मुख्य स्रोत भी. इस क्षेत्र में करीब साढ़े छह लाख लोग काम करते हैं. अब वे तनख्वाह में बढ़ोतरी की मांग कर रहे हैं और चाहते हैं कि उन्हें हर महीने कम से कम 160 डॉलर दिए जाएं. कपड़ा कारखानों में काम कर रहे मजदूर बेहतर वेतन की मांग करने के लिए हड़ताल पर हैं और प्रदर्शन हिंसक होते जा रहे हैं. पुलिस के खिलाफ प्रदर्शनकारियों ने लकड़ियों, पत्थरों और पेट्रोल बमों की बौछार की. सैन्य पुलिस के प्रवक्ता खेंग टीटो ने कहा कि हिंसा में नौ पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि अगर मजदूरों को हड़ताल करने दिया जाएगा तो अराजकता फैल सकती है. अब तक की कार्रवाई में तीन लोग मारे गए हैं. दो लोग घायल बताए जा रहे हैं.
चुनावों की मांग
कंबोडिया में मजदूरों के अलावा विपक्ष भी प्रधानमंत्री हुन सेन से मांग कर रहा है कि वह दोबारा चुनावों का एलान करें. हुन पर आरोप है कि उन्होंने वोटों में धांधली की. विपक्ष के नेता सैम रेनसी ने पुलिस कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा, "हम नहीं स्वीकार कर सकते कि वह मजदूरों का हड़ताल तोड़ रहे हैं. और यही नहीं, वह जुलाई में चुनाव के बाद विकसित हो रहे लोकतांत्रिक आंदोलन को खत्म भी करने की खोशिश कर रहे हैं."
गैर सरकारी संगठन कंबोडिया मानवाधिकार केंद्र ने प्रदर्शनों को खत्म करने के लिए हिंसा के प्रयोग को लेकर चिंता जताई है. मानवाधिकार केंद्र का कहना है कि 2013 में सरकार ने कम से कम 25 प्रदर्शनों को पानी के फव्वारों, आंसू गैस और लाठियों से तितर बितर करने की कोशिश की. इनमें दो लोग मारे गए और तीन गर्भवती महिलाओं का गर्भपात हो गया.
मजदूरों की खस्ता हालत
कंबोडिया के कारखाने विश्व भर में नाइकी, गैप और एच एंड एम जैसी कंपनियों के लिए कपड़े सप्लाई करती है. पश्चिमी देशों में स्थित यह कंपनियां अमेरिका और यूरोप के बाजारों में कम दाम में कपड़े बेच कर ग्राहकों को लुभाने की कोशिश करती हैं लेकिन कंबोडिया में मजदूरों को इतना कम पैसा दिया जाता है कि सस्ते कपड़े बेचने के बाद भी कंपनियां अच्छा मुनाफा कमा लेती हैं.
कंबोडिया, पाकिस्तान, भारत और बांगलादेश जैसे देशों में काम कर रहे यह मजदूर कई बार असुरक्षित इमारतों में काम करते हैं. पिछले साल बांगलादेश की राजधानी ढाका के राणा प्लाजा कारखाने के ढह जाने से एक हजार से ज्यादा मजदूर मारे गए. इससे पहले पाकिस्तान में भी कारखाने में आग लगने से कई मजदूर अपनी जान से हाथ धो बैठे.
एमजी/एजेए (एएफपी, रॉयटर्स)