हार से रो पड़ा इटली
२५ जून २०१०स्लोवाकिया के खिलाफ 3-2 से पिछड़ने के बावजूद अतिरिक्त समय में इटली की पूरी टीम ने गोल दागने की जी तोड़ कोशिश की. एक बार तो स्ट्राइकर फाबियो कुआग्लिएरेला ने गेंद को गोलपोस्ट में डाल भी दिया लेकिन ऑफ साइड होने की वजह से गोल को अमान्य करार दिया गया. आखिरी वक्त के छटपटाहट भरे संघर्ष के बीच ही रेफरी की सीटी बजी, मैच खत्म हो गया. पुराने चैंपियनों का वर्ल्ड कप ड्रीम टूट गया.
हार के बाद इटली के कई खिलाड़ी आंसूओं में डूब गए. फाबियो कुआग्लिएरेला मैदान से लौटते हुए रोने लगे. उनके आंसू गालों पर लुढ़कते हुए साफ देखे गए. साथी खिलाड़ी ने किसी तरह उन्हें अपने सीने में छुपाया.
सामने टीम के सहायक सूट बूट में थे लेकिन आंसू उनकी आंखों में भी थे. यही नजारा स्टेडियम में बैठे इटली के कई दीवानों का था. कोई एक दूसरे से लिपट कर रो रहा था तो कोई सिर पकड़कर जमीन की गहराइयों में झांक रहा था.
राजधानी रोम और बड़े शहर मिलान में हार के बाद सन्नाटा पसर गया. रेस्तरां और बाजारों में लगे बड़े स्क्रीन वाले टीवी बंद हो गए. हजारों लोगों की भीड़ चुपचाप शोक में डूबकर इधर उधर छितर गई.
एक प्रशंसक ने कहा, ''हम सबने रात में बड़ी पार्टी का कार्यक्रम बनाया था लेकिन अब सब बर्बाद हो चुका है.'' देश को सांत्वना देने टीवी पर एक बड़े पादरी आए. उन्होंने कहा, ''हमने 2006 में वर्ल्ड कप जीता था. इस बार किसी और की बारी है.''
लेकिन टीम के खिलाड़ियों का एक और इम्तिहान अभी बाकी है. खिलाड़ियों को प्रशंसकों की नाराजगी का अंदाजा कतई नहीं है और उन्हें घर लौटना है. एक बार पहले भी वर्ल्ड कप में इटली को उत्तर कोरिया जैसी टीम ने बाहर का रास्ता दिखाया था. तब नाराज प्रशंसकों ने टीम की वापसी पर खूब हंगामा किया और एयरपोर्ट पर खिलाड़ियों पर टमाटर बरसाए गए.
रिपोर्ट: एजेंसियां/ओ सिंह
संपादन: एस गौड़