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हाफिज सईद और मसूद अजहर पर कार्रवाई से पाक को खतरा कैसे?

१३ अक्टूबर २०१६

पाकिस्तान में अब हाफिज सईद और मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई की आवाजें तेज हो रही हैं. वहां एक बड़े अखबार ने पूछा कि इन पर कार्रवाई से पाकिस्तान की सुरक्षा को कैसे खतरा हो सकता है?

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Muhammad Ahmed Ludhianvi links im Bild von der Ahlan Sunnat wal Jamaat
तस्वीर: Getty Images/AFD/A.Majeed

पाकिस्तान के अंग्रेजी अखबार "द नेशन" ने अपने संपादकीय में सेना और सरकार से बड़ा सवाल पूछा है. यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि इस अखबार को सेना और सरकार का करीबी माना जाता है. कुछ दिन पहले ही डॉन अखबार ने एक रिपोर्ट छापी थी जिसके मुताबिक सरकार ने दोटूक अंदाज में सेना से इन चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है. हालांकि सरकार ने इसे पूरी तरह बेबुनियाद बताया है. खबर लिखने वाले पत्रकार सिरील अलमेइदा का नाम एग्जिट कंट्रोल लिस्ट में डाले जाने की वजह इसी खबर को माना जा रहा है.

लेकिन "द नेशन" ने अपने संपादकीय में लिखा है कि सरकार और सेना मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय प्रेस को भाषण दे रही हैं कि उसे कैसे काम करना चाहिए. मसूद अजहर जैश ए मोहम्मद का नेता है और भारत उसे पठानकोट हमले का मास्टमाइंड मानता है जबकि हाफिज सईद को 2008 के मुंबई हमलों के लिए जिम्मेदार मास्टरमाइंड बताया जाता है. ये दोनों ही पाकिस्तान में अपनी मर्जी से कहीं भी आ-जा सकते हैं, रैलियां कर सकते हैं और बताया जाता है कि उन्हें सुरक्षा भी प्राप्त है. लेकिन पिछले दिनों कई सांसदों ने इनकी तरफ इशारा करते हुए कहा कि नॉन स्टेट एक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए वरना पाकिस्तान दुनिया में अलग थलग पड़ जाएगा.

अखबार लिखता है कि "अलमेइदा की रिपोर्ट को झूठी या सिर्फ अटकलबाजी पर आधारित रिपोर्ट कहा गया. लेकिन कल सेना और सरकार के उच्च पदाधिकारियों की बैठक में ये किसी ने नहीं बताया कि सरकार के सांसद क्यों पाकिस्तान में प्रतिबंधित संगठनों की स्पष्ट मौजूदगी का क्यों विरोध कर रहे हैं? या फिर मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ संभावित कार्रवाई से पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा को क्यों खतरा है? या फिर पाकिस्तान क्यों अलग थलग पड़ता जा रहा है? हम सबके कान हैं."

उधर "डॉन" अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा है कि वह अलमेइदा और उनकी रिपोर्ट के साथ मजबूती से खड़ा है और उसने इन आरोपों का खारिज किया है कि ये रिपोर्ट किसी स्वार्थ से या फिर झूठ से प्रेरित है. दूसरी तरफ कराची प्रेस क्लब ने मांग की है कि सिरील अलमेइदा के देश से बाहर जाने पर लगी पाबंदी को हटाया जाए. वैसे सिरील अपने एक ट्वीट में कह चुके हैं कि उन्हें कहीं नहीं जाना और पाकिस्तान उनका घर है.

एके/वीके (पीटीआई)