हाथी पैर का इलाज ढूंढने की कोशिश
२ अप्रैल २०१४हाथी पैर यानी पैरों का अचानक सूज जाना. भले ही इस बीमारी में दर्द न हो लेकिन यह ऐसा मर्ज है, जिसका इलाज बहुत मुश्किल है. छोटे कीड़ों के लार्वा की वजह से यह बीमारी होती है. ये लार्वा चमड़ी के अंदर से होते हुए लसिका तंत्र तक पहुंच जाते हैं और वहां अपनी संख्या बढ़ाते हैं. फिर वे बरसों वहीं जमा रहते हैं.
जर्मनी के बॉन यूनिवर्सिटी में रिसर्च कर रहे इंडोनेशिया के डॉक्टर मोहसिन बताते हैं कि मच्छरों से सिर्फ मलेरिया नहीं, एलिफेंटाइटिस की बीमारी भी होती है, "यह बीमारी लंबे लंबे सफेद कीड़ों से होती है. तीन तरह के कीड़े यह बीमारी फैलाते हैं. वूचेरिया बानक्रॉफ्टी, ब्रूगिया मालायी और ब्रूगिया तिमोरी. इंडोनेशिया इकलौता देश है, जहां तीनों किस्में पाई जाती हैं."
दुनिया भर में करीब 12 करोड़ लोग इस बीमारी से प्रभावित हैं, जिनमें करीब 65 फीसदी भारत सहित दक्षिण एशियाई देशों में रहते हैं. डॉक्टर मोहसिन ने चूहों पर परीक्षण किए हैं, जिसमें उन्हें खासी कामयाबी मिली है. उनका दावा है कि तीन साल की रिसर्च के बाद उन्होंने ऐसी दवा तैयार कर ली है, जो चमड़ी के अंदर ही लार्वा को नष्ट कर सकती है, "मैं इस दवा का परीक्षण इंसानों पर करना चाहता हूं. मैं जानना चाहता हूं कि क्या यह इंसानों पर भी काम करती है."
अब उन्हें जर्मन सरकार से इस दवा को इंसानों पर टेस्ट करने की इजाजत चाहिए. अगर ऐसा होता है तो हाथी पैर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज की दिशा में एक बड़ा कदम होगा.
रिपोर्टः आयु पूर्वानिंगजी/एजेए
संपादनः ओंकार सिंह जनौटी