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manthan, hindi

१४ फ़रवरी २०१४

विषय चाहे कोई भी हो हर रोज दुनिया में बदलती और विकसित होती तकनीक के बारे में जानिए हमारे खास कार्यक्रम मंथन में.

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Symbolbild Spießbürgertum und Klischees in Deutschland Kuckucksuhr
तस्वीर: Fotolia/PRILL Mediendesign

रवि श्रीवास्तव, इंटरनेशनल फ्रेंडस क्लब, इलाहाबाद से लिखते हैं, "सबसे पहले तो विश्व रेडियो दिवस पर आप सभी को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं! इस अवसर पर रेडियो के पुराने प्रोग्राम प्रस्तुतकर्ताओं में से एक अमीन सयानी से की गई गुफ्तगूं पर आधारित एक रिपोर्ट मन को छू गई. पूरी बातचीत के संपादित अंशों को पढ़ते-पढ़ते एकबारगी उनके पुराने अंदाज फिर जीवंत हो उठे. सयानी जी की आवाज और बोलने का अंदाज और उसकी खनक ही ऐसी थी कि पहले प्रोग्राम में आए 9000 हजार खत बाद में लाखों की गिनती तक जा पहुंचे. गानों के पाएदान बताते बताते सयानी जी कब पहले पाएदान पर पहुंच गए इसका आभास ही नहीं हुआ. आज विश्व रेडियो दिवस पर ऐसे पुराने लम्हों को एक बार फिर याद दिलाने के लिए सहृदय आभार. कभी इसी प्रकार हरीश भीमाणी जी पर एक इंटरव्यू आधारित रिपोर्ट प्रस्तुत करने की कृपा करें."

Picture-Teaser zur Marsmission "Mars One"
तस्वीर: picture-alliance/dpa

आजम अली सूमरो ने पाकिस्तान से लिखा है "मंथन में यह जान कर मजा आया कि 10 साल बाद मंगल ग्रह की संभावित वनवे यात्रा एक अलग ही बात होगी, लेकिन अभी बहुत सारे सवाल हैं कि जिन के जवाब नहीं मिल पा रहे हैं. भला मंगल ग्रह से वापसी क्यों नहीं हो सकती, वहां जाने वाले लोग आखिर वहां क्या करेंगे. मान लेते हैं कि वहां जाने वालों का जीवन उतने ही साल होगा, जितना यहां पर होगा, जैसा कि इस रिपोर्ट में मंगल ग्रह की ओर वनवे टिकट पर जाने वाले जर्मन व्यक्ति का मानना है, लेकिन सब को आखिर एक दिन मरना है, वहां भी ऐसा ही होगा, तो फिर आगे क्या होगा. मंगल ग्रह पर वनवे टिकट लेकर जाने वाले जब वहां खत्म हो जाएंगे, तो क्या फिर लोगों की एक नई खेप यहां से वहां के लिए ले जाई जाएगी. इस तरह के और भी बहुत से सवाल हैं. मैं उम्मीद करता हूं कि समय समय पर आपसे ऐसी जानकारी मिलती भी रहेगी लेकिन मैं मंथन के इस एपिसोड से यह उम्मीद लगाए हुए था कि आप हमें मंगल ग्रह के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे, कि कैसा है वहां पर माहौल, किस तरह से इंसान के रहने लायक है वहां के हालात, क्या संभव समस्याएं हो सकती हैं जिनका सामना इन वनवे टिकट लेकर जाने वालों को हो सकता हैं आदि.. वैसे मैं आशा करता हूं कि किसी आने वाले मंथन के एपिसोड में आप इस बारे में भी भरपूर और विस्तृत जानकारी देते रहेंगे. 10 साल अभी काफी दूर हैं, कम से कम जो नही जा सकते, उनको जानकारी तो हो पाए कि कुछ लोग कहां जाने की तैयारी में हैं."

Frankfurter Buchmesse Schwerpunkt Indien 2006 BdT Kopfhörer Typografie
तस्वीर: AP

किशोर गुप्ता लिखते हैं "मुझे हिन्दी लिखना बोलना सबसे अधिक पसंद है. हिन्दी भाषीय लोगों से मिलना, बात करना चाहे वह किसी भी देश में रहता हो, महत्वपूर्ण यह है कि वह अपने देश से किसी ना किसी रूप में जुड़ा हो. हमें गर्व है वह पहले भारतीय है बाद में उस देश का नागरिक."

बरेली से मुबारक पेंटर ने लिखा है "आपके द्वारा भेजा गया प्रश्नोलॉजी का मेरा पुरस्कार मुझे 2 फरवरी को सही सलामत मिल गया है, इसके लिए मैं डॉयचे वेले हिन्दी परिवार का आभारी हूं. आपकी वेबसाईट पर दी गई सभी जानकारियां मुझे बहुत अच्छी लगती हैं. सबसे ज्यादा अगर कुछ अच्छा लगता है तो वो है मंथन, क्योँकि मंथन की हर जानकारी बेहद उपयोगी और महत्वपूर्ण होती है, इसीलिए हर शानिवार का बेसब्री से इन्तजार रहता है कि कब शनिवार आये और हम मंथन देखें."

आजमगढ़ उत्तर प्रदेश से मुहम्मद सादिक आजमी लिखते हैं "मंथन दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है. दर्शकों की संख्या में लगातार वृद्धि देखी जा रही है. फेसबुक के पेज पर लाइक और कमेन्ट इसका ठोस प्रमाण हैं, अब इसके समय में बढ़ोतरी की मांग भी जोर पकड़ती जा रही है मैं भी उन समर्थकों में से एक हूं जो इसका समर्थन करता हूं. कृपया इस पर विचार किया जाए और आने वाले एपिसोड में बिच्छू के डंक मारने पर नींबू कितना लाभदायक है बताया जाए."

मोहम्मद आसिफ का कहना है, "मंथन का यह एपिसोड बहुत अच्छा था मंथन कि ख़ास बात मुझे यह लगी कि विज्ञापनों को इस में काफी कम दिखाया जाता है जिसकी वजह से हम आधे घंटे में ही काफी जानकारी हासिल कर लेते हैं."

Nordlicht Finnland
तस्वीर: PEKKA SAKKI/AFP/Getty Images

आबिद अली मंसूरी उत्तर प्रदेश से लिखते हैं, "विषय चाहे कोई भी हो हर रोज दुनिया के साथ बदलती और विकसित होती तकनीक के बारे में बहुत ही करीब से देखने, जानने और समझने का मौका मिलता है विज्ञान,तकनीक और पर्यावरण के इस खास कार्यक्रम मंथन में. हर शानिवार जर्मनी के बॉन शहर से नये विषय के साथ मंथन का एक नया अंक हमारे लिए बिल्कुल नया और खास होता है जिसमें दिखाई जाने वाली हर जानकारी बेहद महत्वपूर्ण और ज्ञानवर्धक होती है जिसे देखकर लगता है..कितनी अदभुत है मंथन की दुनिया. मेरे लिए टीवी पर मंथन देखपाना संभव नहीं हो पाता इसीलिए यूट्यूब पर मंथन का इन्तजार रहता है. इस बार स्पेसक्राफ्ट केपलर के बारे में दी गयी जानकारी बहुत ही अच्छी लगी."

अमर कुमार श्रीवास्तव कहते हैं, "हर बार की तरह इस बार का मंथन भी रोचक जानकारियों और विज्ञान के नए अविष्कारों के साथ-साथ नयी जीवन शैली अपनाने पर था. इसी प्रकार से मंथन का प्रयास जारी रखें पर मंथन का समय सही नहीं है. इसे रविवार के दिन प्राइम टाइम के समय रखा जाए तो और भी लोगों तक पहुंचेगा क्योंकि सुबह का समय घरेलू काम के साथ-साथ ऑफिस जाने का समय होता है. इसका समय और दिन बदलने की दिशा में प्रयास जरुरी है."

संकलनः विनोद चड्ढा

संपादनः आभा मोंढे

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