हर कप्तान चाहता है अपनी टीम में ऐसा बॉलर
1990 के दशक से अब तक सैकड़ों गेंदबाज आते जाते रहे हैं. लेकिन सिर्फ कुछ ही ऐसे होते हैं, जो बड़े से बड़े बल्लेबाजों की हालत खस्ता कर दें. लिस्ट में भारत के भी दो गेंदबाज हैं.
वसीम अकरम (1984-2003)
बाएं हाथ की तेज रफ्तार गेंद का अंदर और बाहर दोनों तरफ स्विंग होना, पाकिस्तान के तेज गेंदबाज वसीम अकरम के सामने दिग्गज बल्लेबाजों के भी पसीने छूटते थे. 356 वनडे मैचों में अकरम ने 502 विकेट लिए. यह आज भी तेज गेंदबाजों के लिए एक रिकॉर्ड है.
कर्टली एम्ब्रोस (1988-2000)
दो मीटर एक सेंटीमीटर लंबे कर्टली एम्ब्रोस की गेदें तत्कालीन महान बल्लेबाजों की समझ के परे थी. 12 साल के क्रिकेट करियर में एम्ब्रोस ने 98 टेस्ट खेले और 405 विकेट अपने नाम किए. 176 वनडे खेलने के बाद भी उनकी इकोनॉमी 3.48 रन की रही.
अनिल कुंबले (1990-2008)
बीते 60 साल में टेस्ट मैच की एक बारी में 10 विकेट लेने वाले अकेले गेंदबाज का नाम है अनिल कुंबले. भारतीय लेग ब्रेक बॉलर कुंबले जिस दिन चलते थे, उस दिन अकेले वह दूसरी टीम को मुकाबले से बाहर कर देते थे. उनके नाम 619 टेस्ट विकेट और 337 वनडे विकेट हैं.
शेन वॉर्न (1992-2007)
सुनहरे बालों वाले शेन वॉर्न विपक्षी टीम के लिए दुखद सपने से कम नहीं थे. लेग स्पिनर ने दुनिया को बताया कि अकेला स्पिनर दूसरी टीम को कैसे ताश के पत्तों की तरह बिखेर सकता है. वॉर्न एक गेंद के बाद पहले से ज्यादा घातक बनते जाते थे. वॉर्न ने 145 टेस्ट मैचों में 708 विकेट लिए. वह 700 विकेट लेने वाले पहले गेंदबाज थे.
मुथैया मुरलीधरन (1992-2010)
टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले मुरलीधरन बल्लेबाजों की मुरली बजा देते थे. विपक्षी टीम में तकनीकी रूप से सबसे कुशल बल्लेबाज की भी सुरक्षा में मुरली सेंध लगाने के लिए माहिर थे. मुरली ने 133 टेस्ट मैचों में 800 और 350 वनडे में 534 विकेट झटके.
ग्लेन मैक्ग्रा (1993-2007)
ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज ग्लेन मैक्ग्रा विपक्षी टीम के सबसे अच्छे बल्लेबाजों को आउट करने के लिए मशहूर थे. लाइन लेंथ और प्लानिंग के बॉलिंग करने के मामले में मैक्ग्रा का कोई सानी नहीं था. उन्होंने 124 टेस्ट मैचों में 563 विकेट चटकाए.
सकलैन मुश्ताक (1995-2004)
वनडे में डेथ ओवर में स्पिनर का बॉलिंग करना, क्रिकेट में इसका श्रेय पाकिस्तान के ऑफ स्पिनर सकलैन मुश्ताक को जाता है. उन्हें दूसरा फेंकने वाला पहला ऑफ स्पिनर भी कहा जाता है. वह सबसे कम उम्र में 200 वनडे विकेट लेने वाले गेंदबाज भी हैं. भारत के महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर को भी सकलैन काफी परेशान करते थे.
शॉन पॉलक (1995-2008)
टप्पे तक गेंद का अंदर आना और फिर सीधे पैड पर या ऑफ स्टंप के बाहर जाना, दक्षिण अफ्रीकी शॉन पॉलक ने इसी तरह कई टीमों का टॉप ऑर्डर ध्वस्त किया. ज्यादा स्पीड न होने के बावजूद उनकी अचूक लाइन लेंथ और उछलती गेंद ताश के पत्तों की तरह विकेट चटकाती थी.
शोएब अख्तर (1997-2011)
गोली जैसी रफ्तार शोएब अख्तर को बहुत ही घातक गेंदबाज बना देती थी. उनकी 160 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से आने वाली बाउंसर और यॉर्कर बल्लेबाजों को भीतर से झकझोर देती थी. शोएब की बाउंसर ने सौरव गांगुली, ब्रायन लारा, गैरी कर्स्टन जैसे कई बल्लेबाजों की पिच पर चित कर दिया.
लसिथ मलिंगा (2004 से अब तक)
श्रीलंका के लसिथ मलिंगा ने 2007 से 2014 तक अपने एक्शन और अपनी यॉर्कर से खूब विकेट चटकाए. विपक्षी टीम की पुछल्ले बल्लेबाजों की बैंड बजाने के लिए वह खासे मशहूर हैं. हालांकि बाद में उनकी स्पीड काफी कम हो गई.
जसप्रीत बुमराह (2016 से अब तक)
बेहद अजीब एक्शन वाले जसप्रीत बुमराह मौजूदा दौर में बल्लेबाजों का सिरदर्द बने हुए हैं. स्पीड में गजब का वैरिएशन और सटीक यॉर्कर मारने की क्षमता उन्हें मौजूदा दौर का सबसे खतरनाक तेज गेंदबाज बनाती है. डेथ ओवर में उनके जैसा गेंदबाज फिलहाल दुनिया में कोई नहीं है.