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समाज

हजारों युद्ध अपराधियों की जांच में जर्मनी नाकाम

७ मार्च २०१९

क्या जर्मनी में हजारों युद्ध अपराधियों ने शरण लेने की कोशिश की? जर्मनी के एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक तमाम सबूतों के बावजूद प्रशासन ऐसे लोगों को जांच करने में नाकाम रहा.

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Krieg in Syrien Aleppo ARCHIVBILD 2012
तस्वीर: picture-alliance/dpa

तमाम सबूत बता रहे थे कि युद्ध अपराधी जर्मनी में शरण लेने की कोशिश कर रहे हैं. युद्ध अपराधियों ने शरण के लिए आधिकारिक रूप से आवेदन भरा. लेकिन उनसे जुड़े अधिकतर दस्तावेजों की पड़ताल नहीं की गई. जर्मनी के सबसे ज्यादा बिकने वाले अखबार बिल्ड ने सात मार्च की सुबह यह रिपोर्ट छापी. रिपोर्ट बिजनेस फ्रेंडली पार्टी एफडीपी की संसदीय जांच के हवाले से छापी गई है.

रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से 2019 की शुरुआत तक करीब 5,000 ऐसे मामले सामने आए जो "अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अपराध" की श्रेणी में आते हैं. जर्मनी के फेडरल ऑफिस फॉर माइग्रेशन एंड रिफ्यूजीज ने जांच के लिए इन मामलों को संघीय पुलिस और अटॉर्नी जनरल के पास भेजा. अखबार का दावा है कि अब तक सिर्फ 129 मामलों की ही जांच हो सकी है.

जर्मनी के आंतरिक मामलों के मंत्रालय के प्रवक्ता ने अखबार से कहा, "रेफर किए मामलों की इतनी ज्यादा संख्या के चलते हर केस में तुरंत जांच नहीं हो सकी. ऐसा खास तौर पर 2015 और 2016 में हुआ. उस दौरान 3,800 मामले रेफर किए गए थे, लेकिन सिर्फ 28 की जांच आगे बढ़ी."

Griechenland Mazedonien Flüchtlinge bei Idomeni
लाखों शरणार्थी जर्मनी पहुंचेतस्वीर: Getty Images/M. Cardy

जर्मनी की चांसलर अंगेला मैर्केल ने 2015 में रिफ्यूजियों के लिए देश के दरवाजे खोल दिए. मैर्केल की उस नीति को "ओपन डोर पॉलिसी" कहा जाता है. इस नीति के चलते 2015 में जर्मनी में 9,00,000 आप्रवासी आए. इनमें से ज्यादातर मध्य पूर्व, एशिया, और अफ्रीका के हिंसाग्रस्त और अति गरीब देशों से आए. मैर्केल के मुताबिक उन्होंने सीरिया के बर्बर संघर्ष के मद्देनजर यह नीति लागू की थी.

शुरुआत में मैर्केल की नीति का स्वागत हुआ. लेकिन धीरे-धीरे रिफ्यूजियों की तादाद बढ़ती गई. रिफ्यूजियों के जर्मन समाज में मेल मिलाप को लेकर असमंजस नजर आने लगा. यूरोपीय संघ के दूसरे देशों ने मैर्केल की नीति का विरोध शुरू कर दिया. वक्त बीतने के साथ यूरोप के कई देशों में दक्षिणपंथी ताकतें मजबूत होती गई और सत्ता में आ गई. 2017 के जर्मन चुनावों में भी मैर्केल की शरणार्थी नीति की आलोचक और धुर दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी को ऐतिहासिक कामयाबी मिली.

घरेलू मोर्चे पर जर्मन चासंलर को अपनी पार्टी सीडीयू और उसकी सिस्टर पार्टी सीएसयू के विरोध का सामना करना पड़ा. सीएसयू के नेता होर्स्ट जेहोफर मैर्केल की शरणार्थी नीति के मुखर आलोचक बन गए. अब जेहोफर देश के आंतरिक मामलों के मंत्री हैं. घरेलू दबाव के चलते अब दूसरे यूरोपीय देशों की तरह जर्मन सरकार भी शरणार्थियों को लेकर सख्त रुख अपना रही है. जर्मनी से बड़ी संख्या में रिफ्यूजियों को वापस उनके देश भी भेजा जा रहा है.

लेविस सैंडर्स/ओएसजे