भारत में स्वाइन फ्लू
२० फ़रवरी २०१५अकेले फरवरी में ही 300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. स्वाइन फ्लू ने राजस्थान और गुजरात में सबसे ज्यादा कहर बरपाया है. वहां इसका इलाज करने वाले डॉक्टरों तक की मौत हो गई. यह बीमारी मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पंजाब में भी तेजी से फैल रही है. इस पर अंकुश लगाने के तमाम प्रयास अब तक कारगर साबित नहीं हो सके हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, राजस्थान में 183, गुजरात में 155 और मध्यप्रदेश में 90 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं पंजाब में 25 लोगों की स्वाइन फ्लू से मौत हुई है. दिल्ली और तमिलनाडु में हालांकि स्वाइन फ्लू से मरने वालों की तादाद काफी कम है, लेकिन इसके मरीजों की तादाद तेजी से बढ़ रही है.
स्वाइन फ्लू के लक्षण
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, इसके लक्षणों में नाक से लगातार पानी बहना, छींक आना, कफ, लगातार खांसी, मांसपेशियां में दर्द या अकड़न, सिर में भयानक दर्द, नींद न आना, ज्यादा थकान, दवा खाने पर भी बुखार का लगातार बढ़ना, गले में खराश होना शामिल हैं. स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है. इसलिए यह मरीज के आसपास के लोगों को भी अपनी चपेट में ले लेता है.
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि चार बातों ने इस साल स्वाइन प्लू वायरस को खतरनाक बना दिया है. इनमें जाड़े के मौसम का लंबा खिंचना, जांच की समुचित व्यवस्था नहीं होना, इसकी दवा टेमीफ्लू की अनुपलब्धता और लोगों में इसके प्रति जागरुकता फैलाने में राज्य सरकारों की नाकामी शामिल हैं. शुरूआत में किसी भी सरकार ने इस बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया. बाद में इसके तेजी से फैलने पर सबके हाथ-पांव फूलने लगे. इस बीमारी के इलाज के लिए जिन दो दवाओं की जरूरत है वह बाजार में खुलेआम नहीं मिल रही है. दिल्ली में तो डॉक्टरों को भी यह दवा हासिल करने में पसीना बहाना पड़ रहा है.
दवाओं का सेवन जरूरी
लेकिन दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और राजस्थान के मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ यह कहते हुए इसका बचाव करते हैं कि दवा की खुली बिक्री से इसके दुरुपयोग का खतरा है. सरकार की दलील है कि स्वाइन फ्लू का इलाज करने वाले अस्पतालों में इस दवा का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है. लोकनायक अस्पताल के डॉक्टर सिद्धार्थ रामजी कहते हैं, "स्वाइन प्लू भी दूसरे इनफ्लुएंजा की तरह ही है. इससे आंतिकत होने की कोई जरूरत नहीं है."
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर तापमान बढ़ने से इस बीमारी के वायरस खत्म होने लगते हैं. लेकिन इस साल ऐसे लक्षण नहीं नजर आ रहे हैं. इससे विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई है. अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉक्टर सुरजीत चटर्जी कहते हैं, "मौसम बदलने के साथ हमें स्वाइन प्लू के मामले घटने की उम्मीद रहती है. लेकिन इस साल ऐसा नहीं हो रहा है. यह चिंता की बात है."
डॉक्टरों का कहना है कि सिर्फ गंभीर रूप से पीड़ित मरीजों को ही अस्पताल में जाना चाहिए. बाकी लोगों को घर पर रह कर ही दवाओं का सेवन करना चाहिए. वायरस को फैलने से रोकने के लिए मरीज को अलग-थलग रखना जरूरी है. एक अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर अरूप बसु कहते हैं, "बीमारी के लक्षण नजर आते ही मरीज और उसके परिजनों को एहतियात के तौर पर एंटी-वायरल दवाओं का सेवन शुरू कर देना चाहिए." दमे, कैंसर, हेपाटाइटिस और एचआईवी के मरीजों पर इस वायरस का असर ज्यादा होता है. इसलिए विशेषज्ञों ने ऐसे लोगों को विशेष एहतियात बरतने की सलाह दी है. इससे बचने के लिए साफ-सफाई बेहद जरूरी है.