स्मार्टफोन हो तो सोते नहीं बच्चे
६ जनवरी २०१५जो बच्चे स्मार्टफोन या टैबलेट लेकर सोने गए उन्होंने सर्वे में उन बच्चों से कम सोने की बात कही है जो इन उपकरणों के बिना अपने बिस्तर में जाते हैं. बच्चों के विकास के लिए उनका ठीक से सोना जरूरी है. पब्लिक हेल्थ रिसर्चर जेनिफर फेल्बी का कहना है कि बच्चों का कम सोना स्कूल में उनके प्रदर्शन को और उनके स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है. इसका उनके मोटापे पर भी असर होता है.
पेडियाट्रिक्स पत्रिका के ताजा अंक में प्रकाशित सर्वे का कहना है कि मिड्ल स्कूल के 2000 छात्रों के एक ग्रुप में सोने की कमी के मामले में तथाकथित "स्मॉल स्क्रीन" का पहुंच के अंदर होना टेलिविजन सेट के होने से थोड़ा ज्यादा खराब था. जिनके कमरे में टैबलेट या स्मार्टफोन था उन्हें हर उन बच्चों के मुकाबले 21 मिनट की कम नींद मिली जिनके कमरों में इस तरह की तकनीकी नहीं थी. इतना ही नहीं इन बच्चों के यह कहने की संभावना भी अधिक है कि उनकी नींद पूरी नहीं हुई.
और ऐसे बच्चे, जिनके कमरों में टेलिविजन सेट था, उन बच्चों के मुकाबले 18 मिनट कम सोए जिनके कमरों में टोलिविजन सेट नहीं था.कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के बर्कले स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की जेनिफर फेल्बी के नेतृत्व में हुई स्टडी के अनुसार, "सोने के माहौल में टेलिविजन नहीं बल्कि स्मॉल स्क्रीन की उपस्थिति और स्क्रीन पर बिताए गए समय का कथित अपर्याप्त आराम या नींद से सीधा संबंध है." रिसर्चरों का कहना है, "ये नतीजे बच्चों के कमरों में स्क्रीन के अबाधित रूप से उपलब्ध होने के खिलाफ चेतावनी हैं."
बर्कले स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के इस सर्वे में मैसाचुसेट्स चाइल्डहुड ओबेसिटी रिसर्च डेमोन्स्ट्रेशन स्टडी में पंजीकृत चौथी और सातवीं क्लास के 2048 बच्चों ने भाग लिया. यह सर्वे 2012 से 2013 के बीच में किया गया.
एमजे/आईबी (एएफपी)