बच्चों को स्मार्टफोन की लत
५ मई २०१४मोबाइल फोन की जब शुरुआत हुई, तब उनका आकार इतना बड़ा हुआ करता था कि जेब में भी ना आ सके. धीरे धीरे फोन छोटे होते गए और इनमें जमा होने वाला डाटा बढ़ता गया. स्मार्टफोन के कारण आज सब के पास हर वक्त इंटरनेट से जुड़े रहने का विकल्प है. अधिकतर कंपनियां अपने मैनेजरों को खुद ही स्मार्टफोन दिलवाती हैं ताकि वे किसी भी समय कंपनी के ईमेल का जवाब देने कि स्थिति में रहें. लेकिन क्या बच्चों को भी इनकी उतनी ही जरूरत है?
स्कूली छात्रों में स्मार्टफोन का चलन बढ़ता जा रहा है. किसी को ये ऑनलाइन गेम खेलने के लिए चाहिए, किसी को ऑनलाइन मेसेज करने के लिए तो किसी को अलग अलग वेबसाइटें देखने के लिए.
जर्मनी में हाल ही में हुए एक सर्वे में पाया गया कि दस साल के बच्चे औसतन हर रोज कम से कम 22 मिनट स्मार्टफोन के साथ बिताते हैं. इनमें से नौ फीसदी इंटरनेट पर अपनी पसंदीदा वेबसाइट को देखने के लिए स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं. 12 साल की उम्र तक अधिकतर बच्चों के पास अपना खुद का स्मार्टफोन होता है और 14 की उम्र तक इनमें से ज्यादातर बच्चे ऑनलाइन मीडिया में सक्रिय हो चुके होते हैं. फेसबुक, ट्विटर और वॉट्सऐप से जर्मन बच्चों का नाता इसी उम्र में जुड़ जाता है.
यह सर्वे जर्मनी की आईटी इंड्स्ट्री लॉबी बिटकॉम ने करवाया है. सर्वे के अनुसार 19 की उम्र के बाद से स्मार्टफोन के जरिए इंटरनेट का इस्तेमाल कम होने लगता है और 47 फीसदी बच्चे ही स्मार्टफोन के जरिए इंटरनेट से जुड़ रहे होते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि तब तक उनके पास अपना खुद का लैपटॉप आ चुका होता है.
इस स्टडी को नाम दिया गया है 'किंडर उंड यूगेंड 3.0" यानि तीसरी पीढ़ी में इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले बच्चे और नौजवान. स्टडी के अनुसार दस से ग्यारह की कम उम्र में ही बच्चों का सोशल मीडिया की ओर रुझान हो जाता है. 12 से 13 की उम्र तक पहुंचते हुए उनकी रुचि काफी बढ़ जाती है और 42 प्रतिशत बच्चे फेसबुक, ट्विटर, वॉट्सऐप और स्काइप जैसी कम से कम किसी एक वेबसाइट पर अपना अकाउंट बना चुके होते हैं. रिसर्च में पाया गया कि देश में 14 से 15 की उम्र के 65 फीसदी बच्चे सोशल मीडिया साइटों पर सक्रिय हैं.
इंटरनेट से जुड़ाव को जहां एक तरफ तो आज कल स्कूलों में भी प्रोत्साहन दिया जाता है, वहीं दूसरी ओर यह खतरनाक भी साबित हो सकता है. इससे पहले हुई एक अन्य स्टडी के अनुसार जर्मनी में 16 साल की उम्र से ही बच्चे अश्लील वेबसाइटों पर जाने लगते हैं. अधिकतर बच्चों को इंटरनेट सुरक्षा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती. ऐसे में स्कूलों और माता पिता की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है.
रिपोर्ट: जेसी विनगार्ड/ईशा भाटिया
संपादन: आभा मोंढे