स्कूल पर तालिबान का कहर
पाकिस्तान में पेशावर शहर के एक सैनिक स्कूल पर मंगलवार को तालिबान ने हमला कर दिया. इसमें 125 से ज्यादा लोगों की जान गई, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे.
अचानक हुआ हमला
स्कूल में पढ़ाई चल रही थी, तभी आतंकवादी स्कूल में घुस गए. उन्होंने बच्चों को बंधक बना लिया और ताबड़तोड़ फायरिंग करने लगे. जिन बच्चों को मौका मिला, वे किसी तरह स्कूल से निकल कर भागे.
सुरक्षाबलों की मदद
घटना के कुछ ही देर बाद पाकिस्तान सेना के जवान स्कूल के पास पहुंच गए. लेकिन उन्हें स्थिति संभालने में काफी वक्त लगा. इस बीच जो बच्चे स्कूल से निकल पाने में कामयाब रहे, उन्हें सुरक्षा बल के जवानों ने सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया.
घायलों की मदद
हमले में कई स्कूली बच्चे घायल भी हो गए. ऐसे ही एक बच्चे को स्कूल से निकालते सेना के जवान. रिपोर्टों के मुताबिक घटना के वक्त स्कूल में कम से कम 500 बच्चे मौजूद थे.
रोड पर अफता तफरी
घायलों को अस्पताल तक पहुंचाना भी आसान काम नहीं था. सड़क पर एंबुलेंस दौड़ रही थीं. अधिकारियों का कहना है कि स्कूल परिसर में छह आतंकवादियों के शव पाए गए हैं.
अस्पताल में इलाज
यह पिता अस्पताल में पड़े अपने बच्चे को सांत्वना देने की कोशिश कर रहा है. तालिबान के हथियारबंद जवान अचानक से स्कूल में घुसे. हालांकि इस स्कूल को सुरक्षित माना जाता था.
ये कैसा दिन
पेशावर के लेडी रीडिंग अस्पताल के बाहर इस शख्स को अपने बच्चे की चिंता खाए जा रही है, जो हादसे में घायल हो गया है. तालिबान ने स्कूल में बच्चों और शिक्षकों को बंधक बनाने के बाद फायरिंग शुरू कर दी थी.
बदकिस्मत छात्र
सुबह मां बाप ने इस बच्चे को तैयार करके पढ़ने के लिए स्कूल भेजा. लेकिन उन्हें नहीं मालूम था कि कुछ देर बाद उसका जनाजा निकल जाएगा. राहतकर्मी जब इस छात्र की ताबूत लेकर बढ़े, तो वह भी भावुक हो गए.
सुरक्षा तेज
स्कूल पर हमले के बाद पेशावर की सड़कों पर सुरक्षा कड़ी कर दी गई. ऐसे मामले बहुत कम देखने को मिले हैं, जब किसी स्कूल पर आतंकवादी हमला हो. इससे पहले काबुल के एक स्कूल पर आतंकवादियों ने खुदकुश हमला किया था.
बख्तरबंद गाड़ियां
पाकिस्तानी सेना ने अपनी बख्तरबंद गाड़ियां भी सड़कों पर उतार दीं. उधर प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा है कि वे अफगानिस्तान से भी बात कर रहे हैं और इस बात के लिए तत्पर हैं कि देश से आतंकवाद का खात्मा किया जाएगा.
मलाला का संदेश
दो साल पहले तालिबान के हमले में घायल होने और इस साल नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाली मलाला यूसुफजई भी घटना से आहत है. उसने संदेश दिया, "मेरा दिल पेशावर की इस संवेदनहीन घटना के बाद टूट गया है. स्कूल जाने वाले निर्दोष बच्चों के लिए यह जगह नहीं थी."