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सोशल नेटवर्किंग: लत या शौक?

१७ अप्रैल २०१०

सोशल नेटवर्किंग साइट्स से यंगस्टर्स का लगाव आजकल इतना बढ़ गया है कि वे घंटों भी इसके इस्तेमाल से थकते नहीं. ऑरकुट, फेसबुक, माई स्पेस जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स यंगस्टर्स की लाइफ का एक अभिन्न हिस्सा बन गई है.

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तस्वीर: AP

नेहा कहती हैं उन्हें भूख लग रही है और कुछ ही सेकन्ड्स में ये बात उनके फेसबुक अकॉउन्ट से हजा़रों लोगों तक पहुंच जाती है. नेहा के आधे से ज़्यादा दोस्त देश के बाहर रहते हैं, "मैं उनको ज़्यादा कॉल नहीं कर सकती, मैसेज नहीं कर सकती, तो ऐसे में इन साइट्स की वजह से मैं आसानी से उनसे टच में रह सकती हूँ."

सोशल नेटवर्किंग साइट्स की लोकप्रियता किस तेज़ी से बढ़ रही है इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि हर सप्ताह 50 लाख नए लोग इन वेबसाइट की सदस्यता ले रहे हैं. इस प्लेटफॉर्म के ज़रिए लोग खुद को एक नयी दुनिया में पा रहे हैं.

नेहा का मानना है कि ये एक बहुत ही आसान तरीका है बात करने का. वह कहती हैं, "... मैं आए दिन अपनी नई तस्वीरें लगाती हूँ जिन्हें मेरे सभी दोस्त देख सकते हैं और उन पर कमेन्ट भी करते हैं." वहीं चाँदनी को स्टेटस अपडेट करना, तस्वीरें लगाना और फिर कमेन्ट्स पढ़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है. "मैरा फेसबुक पर अकाउन्ट सिर्फ गेम खेलने के लिए है. मैं अपने दोस्तों के साथ गेम खेलना पसन्द करती हूँ."

Screenshot Organisation SOSO zur Sicherheit für Kinder im Internet
इंटरनेट में सुरक्षातस्वीर: SOSO

फोटो डालना, गेम खेलना, अपने दोस्तों से दूर होने के बावजूद उनकी पल पल की खबर रखना और अब तो लगभग दस करोड़ लोग इन साइट्स पर अपने मोबाइल फ़ोन के ज़रिए लौगिन करते हैं. तो ऐसे में इन वेबसाइट्स पर अकाउन्ट होना अपने आप में एक स्टेटस सिंबल बन गया है. स्टेटस सिंबल तो ठीक है लेकिन कहीं ये लत तो नहीं?

नेहा कहती हैं, "नहीं, इसे लत नहीं कह सकते. ये हमारे फायदे के लिए है. और अगर लत है भी सही तो इसमें कुछ गलत नहीं है." लेकिन कुछ यूज़र्स ऐसे भी हैं जो इसके एडिक्ट होने को ठीक नहीं समझते. उनमें से एक है श्रुति, जो कहती हैं कि उनका फेसबुक, ट्विटर और ऑरकुट तीनों पर अकॉउन्ट है और वो इन्हें एक प्रोफेश्नल तरीके से इस्तेमाल करती हैं. "आजकल जिसे देखो इन साइट्स पर सारा टाइम ऑनलाइन है. तो इतना एडिक्ट होना मेरे हिसाब से ठीक नहीं है. इन साइट्स को एन्टरटेन्मंट का मीडियम ना समझकर इसका कंस्ट्रक्टिव यूस किया जाना चाहिए."

थोड़े ही समय पहले फेसबुक के कारण 48 वर्ष बाद मिले बाप-बेटी की कहानी सामने आई थी वहीं दूसरी ओर 17 साल की लड़की ऐशले की फेसबुक पर एक अनजान शख्स से दोस्ती होने के बाद मौत का मामला भी सामने आया था. साइबर लौ एशिया के संस्थापक पवन दुग्गल कहते हैं कि जिस तेज़ी से यंगस्टर्स सोशल नेटवर्किग साइट्स की ओर बढ़ रहे हैं उस तेज़ी से ये वेबसाइट्स यूज़र्स को साइबर क्राइम से बचाने के लिए सावधानियां नहीं बरत रहे हैं. वह कहते हैं, "ये साइट्स आजकल साइबर क्रिमिनल्स को एक प्लैटफार्म दे रही है. आप अकॉउन्ट बनाने से पहले उस साइट की टर्म्स और कंडीशन्स को जरूर पढ़ लें. मित्र बनाने से पहले ये जांच कर लें कि क्या वह सही है. अपनी निजी जानकारी वेबसाइट पर ना दें."

तो अब ज़रूरत है तो बस कुछ सावधानियां बरतने की. इन सोशल नेटवर्किग साइट्स का आप हिस्सा तो ज़रूर बनिए लेकिन साथ ही साथ अगर आप इन सब बातों का ध्यान रखेंगे तो आपका नेटवर्किंग का सफर दिलचस्प और रोमांचक रहेगा.

रिपोर्ट: श्रेया कथूरिया

संपादन: महेश झा