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सैन्य कार्रवाई के बाद भारत की नीति में बुनियादी बदलाव

३० सितम्बर २०१६

देश में आतंकी हमलों के लिए भारत पाकिस्तान पर आरोप लगाता रहा है. उड़ी सैनिक अड्डे पर हुए हमले के बाद उसने पाकिस्तान के खिलाफ आक्रामक रवैया अपनाया है. कुलदीप कुमार इसे भारत की पाकिस्तान नीति में बुनियादी बदलाव मानते हैं.

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Indische Soldaten an der Grenze zwischen Indien und Pakistan
तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Singh

उड़ी में भारतीय सेना के एक ठिकाने पर हुए आतंकवादी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव लगातार बढ़ रहा था, खासकर इसलिए कि उन्हीं की भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव ने यह बयान दे डाला था कि एक दांत के बदले पूरा जबड़ा तोड़ देना चाहिए. मई 2014 में सत्ता में आने से पहले स्वयं मोदी और सुषमा स्वराज जैसे नेता पाकिस्तान के खिलाफ आग उगल चुके थे. उधर मोदी के समर्थक भी पिछले सवा दो साल के दौरान सरकार के प्रदर्शन पर सवाल उठाने लगे थे. ऐसे में बृहस्पतिवार को सरकार द्वारा यह घोषणा किए जाने से कि पाकिस्तान के नियंत्रण वाले क्षेत्र में घुस कर भारतीय सैनिकों ने भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ के लिए एकत्रित हुए आतंकवादियों के कई ठिकानों को नष्ट करने के लिए सफल सर्जिकल स्ट्राइक की, स्थिति एकाएक बदल गई है. सेना पहले भी कई बार इस तरह की ‘सर्जिकल स्टाइक' कर चुकी है लेकिन यह पहला मौका है जब भारत ने सार्वजनिक रूप से इसकी घोषणा की है.

हालांकि पाकिस्तान ने भारत की इस घोषणा का खंडन किया है और कहा है कि केवल भारत की ओर से नियंत्रण रेखा के पार गोलाबारी की गई, लेकिन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ द्वारा अपने मंत्रिमंडल की आपातकालीन बैठक बुलाने और अमेरिकी विदेश मंत्री सूजन राइस द्वारा भारतीय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को फोन करने से स्पष्ट है कि भारत के दावे में दम है. इसके अलावा पाकिस्तान के अनुसार उसके दो सैनिक मारे गए हैं और एक भारतीय सैनिक उसके पास बंदी बना हुआ है. इससे भी जाहिर है कि नियंत्रण रेखा पर कुछ गंभीर घटना जरूर हुई है. लेकिन पाकिस्तान के खंडन से यह भी स्पष्ट हो गया है कि उसकी ओर से सैनिक कार्रवाई द्वारा जवाब नहीं दिया जाएगा क्योंकि जब कुछ हुआ ही नहीं तो जवाब किस बात का? हां, आने वाले दिनों में पठानकोट या उड़ी जैसे आतंकवादी हमलों की घटनाओं में बढ़ोतरी हो सकती है. या फिर अन्य देशों, मसलन अफगानिस्तान में स्थित भारतीय इमारतों, परियोजनाओं और संयंत्रों पर आतंकवादी हमले हो सकते हैं जो कि पहले भी होते रहे हैं.

Indien Kashmir Eskalation Gefechte
कश्मीर में जारी हिंसातस्वीर: Reuters/D.Ismail

उड़ी में हुए आतंकवादी हमले के बाद से भारत सरकार की पाकिस्तान के प्रति नीति में बुनियादी बदलाव आया है और अब वह पहले की हिचकिचाहट छोड़ कर पाकिस्तान के प्रति हर मोर्चे पर आक्रामक और तीखा रवैया अपना रही है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को राजनयिक अभियान के जरिये अलग-थलग करने की कोशिश, संयुक्त राष्ट्र में उसे करारा जवाब देने और सार्क शिखर सम्मेलन का बहिष्कार करने तथा बांग्लादेश, अफगानिस्तान और भूटान जैसे देशों से बहिष्कार करवाने से स्पष्ट है कि पाकिस्तान को तुर्की-बतुर्की जवाब देने की नीति अपनाई जा रही है. साथ ही भारत की जनता को यह संदेश दिया जा रहा है कि मोदी सरकार पहले की सरकारों से भिन्न है और वह पाकिस्तान को धूल चटाने में सक्षम है. इसलिए आश्चर्य नहीं कि सर्जिकल स्ट्राइक होने के अगले ही दिन शुक्रवार को मीडिया प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने वाली भारतीय जनता पार्टी के महासचिव राम माधव ने अंग्रेजी दैनिक ‘इंडियन एक्स्प्रेस' में एक लंबा लेख लिख कर यह दावा किया कि सरकार ने उनकी ‘एक दांत के बदले पूरे जबड़े' की नीति पर चलने का निर्णय लिया है.

बृहस्पतिवार को हुई सर्जिकल स्ट्राइक के बारे में अभी बहुत से तथ्य सार्वजनिक नहीं हुए हैं और उनके बारे में संदेह भी व्यक्त किए जा रहे हैं. इस प्रकार की कार्रवाइयों के बारे में संदेह व्यक्त किया जाना स्वाभाविक है. ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए पाकिस्तान के एबटाबाद में की गई अमेरिकी कार्रवाई की हकीकत को भी अभी तक सभी ने स्वीकार नहीं किया है. लेकिन इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि भारत सरकार पाकिस्तान के प्रति पुरानी नीति को त्याग कर एक नई नीति पर चल रही है. बहुत संभव कि पाकिस्तान को आतंकवादी देश घोषित कराने के प्रयासों में तेजी लाई जाए. इस संबंध में इंटरनेट पर अभियान शुरू भी हो चुका है. पाकिस्तान ने भारत को अभी तक ‘सर्वोच्च प्राथमिकता वाला देश' नहीं माना है. इसलिए भारत भी उसे दी गई मान्यता को रद्द करने पर विचार कर सकता है.

उड़ी में हुए आतंकवादी हमले के बाद से ही अधिकांश भारतीय टीवी चैनल युद्धोन्माद भड़काने में लगे थे. बृहस्पतिवार को हुई कार्रवाई से उनके इस अभियान को और भी बल मिल गया है. जनता को बताया जा रहा है कि भारत ने पाकिस्तान में घुस कर उसे सबक सिखा दिया है जबकि जिस क्षेत्र में भारतीय सैनिक घुसे थे उसे भारत अपना ही क्षेत्र मानता है जिस पर पाकिस्तान ने जबरदस्ती कब्जा कर रखा है. यह युद्धोन्माद सत्तारूढ़ पार्टी के हित में है क्योंकि उसे जनता का ध्यान तात्कालिक और गंभीर समस्याओं से हटाने में इससे मदद मिलती है.

ब्लॉग: कुलदीप कुमार