सेबिट 2017: जापानी तकनीक का 'उगता सूर्य'
"उगते सूर्य का देश" कहलाने वाला जापान इस साल सेबिट व्यापार मेले में पार्टनर देश है. "सोसायटी 5.0" शीर्षक के अंतर्गत कोई 120 जापानी कंपनियां हनोवर में यह दिखा रही हैं कि डिजिटलीकरण जीवन को कैसे बदलता जा रहा है.
रोबोट्स और एक्सो स्केलेटन
एक्सो स्केलेटन की मदद से बड़े बड़े वजन उठाना आसान हो गया है. ऐसे लोग भी वजन उठा सकते हैं जो शायद चलने के लायक भी ना हों. इसका इस्तेमाल जापानी कंपनी नीडो के कर्मचारी कर रहे हैं. हनोवर में आयोजित होने वाले सालाना सेबिट मेले में अपने स्टॉल पर खड़े नीडो के कर्मचारी.
अजनबी, परिचित या दोस्त
जापानी इंजीनियर अपने रोबोटों का बर्ताव और हाव भाव बिल्कुल इंसानों जैसे बना रहे हैं. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर की मदद से रोबोट इंसानों के चेहरे पहचान सकते हैं और उनमें से अपने परिचित, अपरिचित या दोस्तों की पहचान कर सकते हैं. इन्हीं गुणों के कारण रोबोट बुर्जुर्गों की देखभाल करने या होटलों में लगाए जा रहे हैं.
मदद या नौकरियों पर आफत
यह रोबो-चीयरलीडर्स प्यारे लगते हैं, लेकिन ऐसे ही मासूमियत से यह लोगों की नौकरियां भी खा रहे हैं. सेंसरों और मोटरों से लैस रोबोट बेहद सटीक हरकतें करते हैं. इंडस्ट्रियल रोबोटों के मामले में जापान का दुनिया भर में दूसरा स्थान है. यहां हर 10,000 इंसानी कामगारों पर औसतन 211 रोबोट काम कर रहे हैं. दक्षिण कोरिया नंबर एक है और जर्मनी तीसरा.
ऐप पर जिंदगी
हर तीन में से एक जापानी मां गर्भावस्था के दौरान निम्पू टेक ऐप का इस्तेमाल करती है. इसे बनाने वाली कंपनी हाकुहोडो का कहना है कि यह ऐप महिला के चेक अप शेड्यूल और डॉक्टरी सलाह सबको एक साथ स्मार्टफोन में ले आती है.
आसमान में मंडराते हुए
मजबूत बाजुओं और मोटर वाला ड्रोन बहुत भारी वजन उठा सकता है. जापान में बना "प्रोड्रोन" पूरे के पूरे इंसान को एक जगह से उठा कर दूसरी जगह छोड़ने के काबिल है. इसके एक और मॉडल में पहिये लगे होते हैं और वह दीवारों और छत तक पर चल सकता है. कीमत 50,000 यूरो है लेकिन समय के साथ शायद थोड़ा सस्ता हो जाए.
भारी पेपर वर्क से निपटेगा एआई
जापानी सॉप्टवेयर AiWorks पेपर वर्क का उस्ताद है. अगर अपनी ट्रिप पर आपको खर्चों का हिसाब रखना हो, तो आपको केवल बिल की फोटो लेनी है और उसके आगे का सारा काम यह इंटेलिजेंट सॉफ्टवेयर करेगा. फिलहाल जापानी कर्मचारी अपना 40 फीसदी वक्त तरह तरह के डाटा एंट्री में लगाते हैं. लेकिन अब हालात बदलने वाले हैं.
सच्चाई से दूर होने का रास्ता
वर्चुअल रियलिटी या वीआर प्रोडक्ट्स बनाने वाली सेरेवो कंपनी अब पूरे शरीर को महसूस होने वाले टूल्स पर काम कर रही है. अब तक आपने वीआर को केवल आंखों पर लगा देखा होगा. अब पैरों की चप्पल को डाटा सैंडिल बना दिया है. इसके तलवे ऐसे हैं जिनसे कभी इंसान को जमीन पर तो कभी कंकड़, घास, बर्फ या किसी और ही सतह पर चलने का अनुभव होता है.
कभी भी शुरु, काराओके!
"लिरिक स्पीकर" है तो एक आम लाउडस्पीकर जैसा. लेकिन इससे एक स्क्रीन जुड़ी होती है. जो भी गाना बज रहा हो, इसका सॉफ्टवेयर उसे पहचान लेता है और स्क्रीन पर उस गाने के बोल दिखाने लगता है. फिर आप गाने की धुन में अपनी आवाज मिलाइए और लीजिए काराओके का मजा. (आंद्रेयास बेकर/आरपी)