सुमात्रा के जलते जंगल
इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर जंगलों में आग लगती रहती है. ज्यादातर ये आग जानबूझ कर लगाई जाती है और ये पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाती है. पेड़ों की लकड़ी और ताड़ का तेल बेच कर लोग पैसे कमा रहे हैं.
सुमात्रा
सुमात्रा द्वीप पर सिनाबुंग ज्वालामुखी कुछ समय पहले ही फटा, लावा बहा और गर्म हवाओं ने पूरा माहौल कई तरह की गैसों से भर दिया. दर्जनों लोग मारे गए और आसपास का क्षेत्र लावा की एक मोटी परत से ढक गया.
जंगल की आग
सैटेलाइट से मिली तस्वीरों में हर समय सुमात्रा में जगह जगह आग लगी दिखती है. कई बार आग को बुझाने की कोशिशें धुंध के कारण बहुत समय लेती हैं.
ताड़ का तेल
जानबूझ कर आगजनी के आरोप में कई लोग गिरफ्तार भी होते हैं. जंगलों को जलाकर वहां जगह बनाई जाती है और फिर ताड़ के पेड़ लगाए जाते हैं.
सुमात्रा के वर्षावन
जंगलों में पेड़ों की कटाई के लिए आने वाले बड़े बड़े बुलडोजर वर्षावनों को मिटा रहे हैं. इंडोनेशिया के सैकड़ों ज्वालामुखी 'रिंग ऑफ फायर' पर स्थित हैं जो प्रशांत महासागर के चारों ओर फैली है.
सुमात्रा के बाघ
जंगलों में आग लगने से हर साल सूखा पड़ता है. ऐसे में खाने की तलाश में सुमात्रा के बाघ गांवों में आ जाते हैं जो जानमाल के लिए खतरा बनते हैं.
लुप्त होते हाथी
विश्व वन्यजीव कोष का मानना है कि सुमात्रा के हाथी अगले 30 साल में खत्म हो सकते है. भारत के बाहर सुमात्रा में ही एशियाई प्रजाति के हाथियों की सबसे बड़ी संख्या पाई जाती है.
ज्वालामुखी
इंडोनेशिया में करीब 130 सक्रिय ज्वालामुखी हैं. इनके फूटने से निकली गैसें, राख और हानिकारक कण हवा में फैल जाते हैं.
ताड़ का तेल
पेड़ों की कटाई और ताड़ के पेड़ों की बुआई के बढ़ते चलन के कारण यहां बहुत तेज गति से जंगल कट रहे हैं.
ओरांगऊटान
ग्लोबल स्पीशीज प्रोग्राम में बताया गया है कि सुमात्रा के हाथियों के अलावा वहां के ओरांगऊटान, जावा और सुमात्रा के राइनो भी अस्तित्व बचाए रखने की लड़ाई लड़ रहे है.