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सुपर कंप्यूटर से दिमाग का इलाज

१५ फ़रवरी २०१३

इंसानी दिमाग किसी भी सुपर कंप्यूटर से तेज चलता है. लेकिन इसी दिमाग के राज जर्मनी में एक सुपर कंप्यूटर में कैद किए जा रहे हैं. यहां दिमाग का 3डी मैप बन रहा है ताकि ब्रेन एटलस से दिमागी बीमारियों पल भर में पकड़ी जा सकें.

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तस्वीर: Forschungszentrum Jülich

यूरोप का सबसे तेज सुपर कम्यूटर यूक्वीन जर्मनी के यूलिष रिसर्च सेंटर में है. यहां एक विशाल हॉल में अलमारी जैसे बड़े बड़े प्रोसेसर रखे हैं जो कि दरअसल यूक्वीन का दिमाग हैं. सुपर कंप्यूटर के जरिए दुनिया भर के वैज्ञानिक इंसानी दिमाग की गहराई तक पहुंचना चाहते हैं. वे अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी बीमारियों का इलाज खोजना चाहते हैं. यूलिष रिसर्च सेंटर में प्रोफेसर थोमास लिपेर्ट भी इसी कोशिश में लगे हैं. इस सुपर कंप्यूटर के बारे में वह बताते हैं, "यूक्वीन बहुत तेज है. उसकी मेमोरी भी बहुत बड़ी है. दिमाग को सिमुलेट करने के लिए इन दोनों की जरूरत होती है."

Supercomputer Superrechner Jülich JUQEEN Europa 5 Petaflop
यूलिष रिसर्च सेंटर में सुपर कंप्यूटर यूक्वीनतस्वीर: Forschungszentrum Jülich

दिमाग का 3डी नक्शा

यूक्वीन के जरिए दिमाग को समझने के प्रयोग में 240 देशों की रिसर्च टीमें जुटी हैं. मस्तिष्क विज्ञानी इस सुपर कंप्यूटर की मदद से स्वस्थ दिमाग को स्कैन करते हैं. मस्तिष्क के अलग अलग हिस्सों का डाटा जमा किया जाता है और उसका 3डी मैप बनाया जाता है. इसके बाद इस नक्शे को शीशे पर उतारा जाता है. इस तरीके से रिसर्चर वह सब भी देख सकते हैं जो माइक्रोस्कोप से कभी नहीं देखा जा सकता.

प्रोफेसर लिपेर्ट बताते हैं कि ब्रेन एटलस के जरिए देखा जा सकता है कि तंत्रिका तंत्र में क्या चल रहा है. वह कहते हैं, "नर्व फाइबर पर हर न्यूरोलॉजिकल या बहुत सी साइकोलोजिकल बीमारी में असर पड़ता है." इसकी वजह से डॉक्टर के लिए यह जानना बहुत जरूरी होता है कि कौन सा नर्व फाइबर सामान्य है और यह स्वस्थ दिमाग में कहां से होकर गुजरता है. इसे देख कर अंदाज लगाया जा सकता है कि स्ट्रोक या किसी और बीमारी की स्थिति में अगर कोई फाइबर क्षतिग्रस्त हो जाता है तो उसका क्या असर पड़ेगा.

Bilder des Gehirns verraten Alter des Menschen
ब्रेन एटलस सीटी स्कैन या एमआरआई से ज्यादा असरदार हैतस्वीर: picture-alliance/dpa

दिमाग बहुत ही जटिल है. इसकी गतिविधियों का ब्योरा जमा करना सामान्य कंप्यूटर के बस की बात नहीं. सुपर कंप्यूटर होने की वजह से यूक्वीन ऐसा करने की हालत में है. सुपर कंप्यूटर स्वस्थ मस्तिष्क का जो 3डी नक्शा बनाता है उसे पढने के लिए खास 3डी चश्मे की भी जरूरत पड़ती है. स्वस्थ मस्तिष्क के नक्शे से मरीज के दिमाग के नक्शे की तुलना की जाती है. सुपर कंप्यूटर तुरंत ही बता देता है कि कौन कौन से हिस्से अलग हैं. इस तरह से डॉक्टर मरीज के दिमाग की सटीक जांच कर सकते हैं.

ब्रह्मांड में सबसे जटिल

मस्तिष्क विज्ञानी काटरिन आमुंट्स भी इस तकनीक का इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहती हैं, "मैं चाहती हूं कि मरीजों को फायदा हो. मुझे लगता है कि ब्रेन एटलस के जरिए डॉक्टरों के लिए रोज इस्तेमाल हो सकने वाला तरीका विकसित किया जा सकता है." रिसर्च के जरिए जुटाई गई 60 फीसदी जानकारियां ब्रेन एटलस में मौजूद हैं.

Der Direktor der Klinik und Poliklinik für Neurologie am Dresdner Universitätsklinikum Prof. Heinz Reichmann
3डी मैप में दिखेंगे एक्स रे से बेहतर चित्रतस्वीर: picture-alliance/dpa

यह इंटरनेट पर उपलब्ध हैं और मुफ्त है. दुनिया भर के डॉक्टर और रिसर्चर इसका फायदा उठा सकते हैं. लेकिन रिसर्चर अब भी इंसानी दिमाग को पूरी तरह स्कैन नहीं कर पाए हैं. हमारा मस्तिष्क इतनी गजब की चीज है कि इसके सामने यूक्वीन जैसे सुपर कंप्यूटर भी बहुत धीमे हैं. यूक्वीन से भी 500 गुना तेज महा सुपर कंप्यूटर ही यह काम ठीक ठाक ढंग से कर सकता है.

प्रोफेसर थोमास लिपेर्ट का कहना है कि दिमाग शायद पूरे ब्रह्मांड में सबसे जटिल चीज है, "मैं अपने और अपने इंस्टीट्यूट के काम के जरिए इसमें योगदान देना चाहता हूं कि बीमारियों का इलाज किया जा सके, उसके काम करने का तरीका समझा जा सके, इस सवाल के नजदीक पहुंचा जा सके कि हम मनुष्य कैसे काम करते हैं."
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि 2020 तक दिमाग का सारा डाटा यूक्वीन में समा जाएगा और यूलिष की रिसर्च का इसमें बड़ा योगदान होगा.

रिपोर्ट: निखिल रंजन/ईशा भाटिया

संपादन: ओंकार सिंह जनौटी

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