सामने आएगी सीआईए की प्रताड़ना रिपोर्ट
४ अप्रैल २०१४व्हाइट हाउस ने सीआईए को इस मामले में पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया है. रिपोर्ट के सार्वजनिक होने पर पहली बार पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के प्रशासन के समय हिरासत में लिए गए लोगों को प्रताड़ित करने के लिए इस्तेमाल किए गए कई तरीकों पर खुलेआम सवाल उठना तय है. वॉटरबोर्डिंग और कई दूसरे तरह की बेहद सख्त तकनीकों का ब्यौरा समेटे हुए 6,300 पेजों की इस रिपोर्ट के करीब 500 पेजों को अब सार्वजनिक किया जाएगा. इसमें कहा गया है कि सीआईए ने अमेरिका के बाहर अपनी जेलों में रखे गए लोगों के साथ पूछताछ के दौरान बेहद क्रूर तरीके अपनाए.
रिपब्लिकन पार्टी के वे नेता जो जासूसी एजेंसियों के पक्ष में हैं, इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के पक्ष में नहीं थे. उन्होंने प्रस्ताव के खिलाफ वोट दिया. कमेटी की अध्यक्षा सीनेटर डायेन फाइनस्टाइन ने कहा, "इस रिव्यू का मकसद गुप्त कार्यक्रम के पीछे के तथ्यों को उजागर करना था और नतीजे चौंकाने वाले हैं." फाइनस्टाइन का कहना है, "यह रिपोर्ट उस क्रूरता को दिखाती है जो एक देश के तौर पर हमारी नीतियों के बिल्कुल विपरीत है."
इस रिपोर्ट को सिर्फ डेमोक्रेट सांसदों के कर्मचारियों ने तैयार किया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि सीआईए ने ओसामा बिन लादेन को ढूंढने की धर पकड़ में जिस तरह के क्रूर तरीके अपनाए उससे कोई भी महत्वपूर्ण सुराग नहीं मिले. तीन साल में पूरी हुई इस रिपोर्ट को लेकर इंटेलिजेस कमेटी और सीआईए के बीच काफी विवाद और खींचतान हो चुकी है. सीनेटरों का आरोप था कि सीआईए ने कमेटी की जांच पर भी नजर रखी थी और उनकी फाइलें मिटा रही थी. जवाब में सीआईए का कहना है कि सीनेट के स्टाफ ने अवैध रूप से जानकारियां इकट्ठा कीं.
इतने सारे आरोपों के मद्देनजर न्याय विभाग इन आपराधिक मामलों की समीक्षा कर रहा है. गुरूवार की वोटिंग के नतीजों के बाद अब सीआईए रिपोर्ट की फिर से जांच करेगा कि कहीं उसमें कोई ऐसी जानकारी तो नहीं है जिसके बाहर आने से राष्ट्रीय सुरक्षा पर किसी तरह की आंच आती हो. कमेटी ने इसी बात का डर जताया है कि सीआईए रिपोर्ट के कई अप्रिय हिस्सों की काट-छांट कर सकती है. इसीलिए कमेटी ने राष्ट्रपति बराक ओबामा से कहा है कि वह सुनिश्चित करे कि रिपोर्ट के महत्वपूर्ण हिस्से छुपे न रह जाएं.
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जे कार्नी ने दोहराया कि ओबामा रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के पूरे समर्थन में हैं और इंटेलिजेस कमेटी के अधिकारियों को जल्दी ही रिव्यू का काम पूरा करने की ताकीद दी जाएगी. पिछले महीने से ही सीनेट के कर्मचारियों और सीआईए के बीच मतभेद की खबरें आने लगी थीं. तभी कमेटी की अध्यक्षा फाइनस्टाइन इस मामले को सीनेट के सामने ले आईं. उन्होंने खुफिया एजेंसी पर कमेटी के काम की भी जासूसी करने और उनकी फाइलें मिटाने का आरोप लगाया. इसके चलते रिपोर्ट की जानकारियां सामने लाने का मुद्दा कहीं नीचे दब गया और दोनो पक्षों के बीच तनातनी के मामले ने ज्यादा तूल पकड़ ली. इस बीच कमेटी ने उम्मीद जताई है कि अगले 30 दिनों के अंदर रिपोर्ट जनता के सामने आ सकेगी.
आरआर/एमजे(एपी)