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'सिल्क रूट' का नया अवतार

३१ मार्च २०१४

दुनिया के कुछ सबसे लंबे रेल रास्तों में से एक है युक्सिनाउ. यह एशिया और यूरोप के बीच यातायात को तेज और आसान बनाकर दोनों महाद्वीपों के बीच व्यापार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है.

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Chinas Präsident Xi in NRW Sigmar Gabriel Hannelore Kraft
तस्वीर: picture-alliance/dpa

इसे 'आधुनिक युग का सिल्क रूट' कहना गलत नहीं होगा. कुल 11,000 किलोमीटर की दूरी तय करने वाला 'युक्सिनाउ' रेल मार्ग चीन के चोंगक्विंग शहर से जर्मनी के एक प्रमुख व्यवसायिक केन्द्र डुइसबुर्ग को जोड़ता है. राइन और रूअर नदियों के संगम पर स्थित जर्मनी का डुइसबुर्ग शहर स्टील निर्माण के लिए जाना जाता है. यहां दुनिया का सबसे बड़ा नदी बंदरगाह भी है. इसीलिए यातायात और व्यवसाय के लिहाज से यह शहर जर्मनी का महत्वपूर्ण केन्द्र माना जाता है.

2011 में कुछ रेल कंपनियों ने मिलकर "युक्सिनाउ" रेल शुरू की जो दुनिया की सबसे बड़ी रेल लाइन से केवल 2,000 किलोमीटर छोटी है. इस रूट से चोंगक्विंग शहर को बहुत फायदा पहुंच रहा है, जहां कार पार्ट्स और सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी चीजें बनाने वाली कई फैक्ट्रियां है. चीन के प्रमुख बंदरगाह से यह शहर करीब 1,500 किलोमीटर दूर है. पूरे एशिया में चीन के साथ जर्मनी का सबसे ज्यादा व्यापार होता है और चीन के लिए भी जर्मनी ही यूरोप में उसका सबसे बड़ा पार्टनर है. पिछले साल दोनों देशों के बीच 161.5 अरब डॉलर से भी ज्यादा का कारोबार हुआ.

चीन और जर्मनी के इन शहरों के बीच की ये लंबी दूरी तय करने में इस ट्रेन को सिर्फ सोलह दिन लगते हैं. चोंगक्विंग एक मेट्रोपॉलिटन शहर है जो तेजी से उभरते हुए चीन की पहचान बन रहा है. चीन से जर्मनी पहुंचने के सफर में लैपटॉप और कई दूसरी इलेक्ट्रॉनिक चीजें लेकर आ रही यह मालगाड़ी मध्य एशिया, रूस, बेलारूस और पोलैंड से होकर गुजरती है.

Containerhafen Duisburg
तस्वीर: imago

डुइसबुर्ग पोर्ट के प्रवक्ता यूलियान बोएकर बताते हैं, "इस रेल लिंक का महत्व, जिसे चीन में 'नया सिल्क रोड' कहा जा रहा है, एक प्रतीक से कहीं ज्यादा है." अब यह ट्रेन हफ्ते में तीन बार सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जा रही है. लेकिन दोनों तरफ से इस यातायात को और ज्यादा बढ़ाने की बहुत गुंजाइश है. कई बार ऐसा होता है कि चीन से आने वाली ट्रेन तो पचास के करीब बड़े बड़े कंटेनर लेकर पहुंचती है लेकिन जर्मनी से वापस जाते समय बिल्कुल खाली होती है. एससीआई फेरकेयर नामके मार्केट रिसर्च ग्रुप की निदेशक मारिया लीनन बताती हैं, "इस समय समस्या यही है कि चीन से यूरोप तो बहुत सारा सामान आ रहा है लेकिन वापसी में ऐसा नहीं होता."

सदियों पहले एशिया और यूरोप के बीच समुद्री रास्ते से होने वाले भारी व्यापार के चलते ही सिल्क रूट इतना महत्वपूर्ण बन गया. अभी भी इन दोनों महाद्वीपों के बीच 95 फीसदी से ज्यादा चीजें समुद्री रास्ते से ही जाती हैं. रेलवे का व्यापार में योगदान अभी बहुत कम है. लेकिन डुइसबुर्ग पोर्ट को चलाने वाली कंपनी के प्रमुख एरिष स्टाके फिर भी मानते हैं कि रेल रूट का बहुत महत्व है. वह कहते हैं कि "समुद्री यातायात के मुकाबले रेल दोगुनी तेजी से चलती है और वायु यातायात के मुकाबले खर्च में आधा होता है."

आरआर/ओएसजे (एएफपी)