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भारतीयों पर मुकदमा

१० दिसम्बर २०१३

चालीस साल में पहली बार दंगा भड़काने के आरोप में सिंगापुर में 24 भारतीयों पर मुकदमा चलेगा. इन पर दंगों में शामिल होने का आरोप है और अधिकारियों का कहना है कि इससे नस्ली नफरत बढ़ी है.

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तस्वीर: Reuters/Mark Cheong/The Straits Times

सिंगापुर में लिटिल इंडिया नाम से मशहूर इलाके में निजी बस की चपेट में आने के बाद एक भारतीय की मौत हो गई. इसके बाद आरोप है कि वहां भारतीय समुदाय के लोगों ने दंगा किया. आरोप सही साबित होने पर अभियुक्तों को सात साल तक की जेल हो सकती है और उन्हें बेंत से पीटा जा सकता है.

इस प्रदर्शन में करीब 400 दक्षिण एशियाई कार्यकर्ता शामिल थे. इसमें पुलिस अफसरों सहित 39 लोग घायल हो गए और 16 पुलिस वाहनों के साथ कुल 25 गाड़ियों को नुकसान पहुंचा. आरोप में कहा गया है कि "इन लोगों ने पत्थर फेंके और वे गैरकानूनी ढंग से जमा भीड़ का हिस्सा थे. उन्होंने आपराधिक काम किया और पुलिस को उनकी जिम्मेदारियां निभाने से रोका".

भारत से सहयोग

अदालत में 22 से 40 साल के इन भारतीयों को तमिल भाषा में उनके आरोप पढ़ कर सुनाए गए. इस काम के लिए दुभाषिए को भी लगाया गया. इस दौरान भारतीयों के चेहरे पर कोई भाव नहीं थे. आगे की जांच के दौरान उन्हें हफ्ते भर के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है. पुलिस ने पहले कहा था कि इन लोगों पर गंभीर आरोप लग सकते हैं और उन्हें 10 साल तक की सजा हो सकती है. लेकिन मंगलवार को उन्हें सात साल तक की सजा की बात कही गई है.

सिंगापुर के विदेश मंत्रालय का कहना है कि वह भारतीय उच्चायोग के साथ काम कर रहा है ताकि उनके नागरिकों को "कानून सहित सभी तरह की मदद मिल सके". इस मामले में गिरफ्तार किए गए दो बांग्लादेशी, एक भारतीय और एक मलेशियाई को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया गया. उधर 55 साल के बस ड्राइवर पर लापरवाही से गाड़ी चलाने का आरोप लगा है और उसे जमानत मिल गई है. भारत के 33 साल के सक्तिवेल कुमारवेलू उनकी बस की चपेट में आ गए थे.

Ausschreitungen nach Protesten in Singapur
'लिटिल इंडिया' में तनावतस्वीर: Reuters/Mark Cheong/The Straits Times

विदेशी कामगारों की जरूरत

सिंगापुर एक अमीर लेकिन छोटा सा प्रशांत एशियाई देश है. करीब 55 लाख की आबादी वाले देश को अपने काम काज के लिए विदेशी मजदूरों की मदद लेनी पड़ती है. खास तौर पर निर्माण कार्यों के लिए मजदूरों को बुलाया जाता है. रविवार को यह दूसरा मौका था, जब विदेशी कर्मचारियों की वजह से विवाद हुआ.

पिछले साल नवंबर में 171 बस ड्राइवरों ने वेतन बढ़ाने और बेहतर जीवनस्तर की मांग पर काम बंद कर दिया. सिंगापुर में यह 1986 के बाद पहली हड़ताल थी. इस मामले में पांच ड्राइवरों को "गैरकानूनी हड़ताल" के आरोप में जेल की सजा दी गई, जबकि 29 को बिना मुकदमे के वापस उनके देश भेज दिया गया.

भड़काने वाले बयान

लिटिल इंडिया इलाके में घटना के बाद सिंगापुर में विदेशियों को लेकर सोशल मीडिया में भी भड़काऊ बयान आए हैं, जिसके बाद अधिकारियों ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है. प्रधानमंत्री ली सीन हूंग ने सिंगापुर के लोगों से अपील की कि वे किसी एक घटना के आधार पर विदेशियों के खिलाफ विचार न बनाएं. उन्होंने एक समिति बनाने का भी आदेश दिया, जो दंगा भड़कने के कारणों की पड़ताल करेगी.

कई चश्मदीदों का दावा है कि कई "दंगा भड़काने वालों" ने शराब पी रखी थी, जिसके बाद इस इलाके में इस हफ्ते के आखिर में शराब बिक्री नहीं होगी. हालांकि सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि क्या गरीब तबके में सरकार के प्रति असंतुष्टि है.

सामाजिक राजनीतिक ब्लॉगर एलेक्स आऊ ने लिखा, "अगर इन बातों पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो खतरा बना रहेगा. एक छोटी सी घटना भी बड़ी वारदात तक पहुंच सकती है."

एजेए/एमजे (एएफपी)

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