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साहित्य का नोबेल पेरू के लेखक के नाम

७ अक्टूबर २०१०

इस साल साहित्य का नोबेल पुरस्कार पेरू के लेखक मारियो वार्गास लोसा को देने की घोषणा की गई है. 74 साल के लेखक पेरू में बहुत मशहूर हैं हालांकि उनकी एक किताब काफी विवादास्पद भी रही.

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मारियो वार्गास लोसातस्वीर: AP

नोबेल कमेटी ने कहा कि मारियो फार्गास लोसा को शक्ति संरचना और व्यक्तिगत प्रतिरोध, विरोध और हार का मर्मस्पर्शी चित्रण करने के लिए पुरस्कार दिया गया है. लोसा के कई उपन्यासों का स्पैनिश से इंग्लिश में अनुवाद किया गया है लेकिन वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर द टाइम ऑफ द हीरो के कारण चर्चा में आए. उनका यह उपन्यास पेरू में विवादित रहा. इसकी कई सौ कॉपियां लिओन्सियो पार्डो सैन्य अकादमी में जलाई गईं.

स्वीडिश कमेटी से अध्यक्ष पीटर इंग्लुंड ने फार्गास को पुरस्कार मिलने पर बहुत खुशी जताई. उन्होंने कहा कि फार्गास लोसा का सोचना है कि लेखकों को सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करते आना चाहिए बल्कि उन्हें दिशा निर्देशन करना चाहिए और सच बोलना चाहिए.

पेरू के आरेक्विपा में पैदा हुए फार्गास लोसा फिलहाल अमेरिका में प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी में उपन्यास की तकनीक पढ़ा रहे हैं. उन्हें जब नोबेल पुरस्कार पाने की खबर मिली तो उन्हें खुशी और आश्चर्य हुआ. उन्होंने कहा, "इतने साल में मेरा नाम कहीं नहीं आया. मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा है."

1990 में फार्गास लोसा पेरू के राष्ट्रपति चुनावों में खड़े हुए थे. उनके कई दर्ज उपन्यास इंग्लिश में हैं. इनमें सबसे मशहूर कन्वर्सेशन इन द कैथेड्रल और द वॉर ऑफ द वर्ल्ड भी हैं. स्वीडिश कमेटी के इंग्लुंड ने कहा कि फीस्ट ऑफ द गोट उपन्यास डोमिनिक गणराज्य के तानाशाह रफाएल निओनिडास ट्रुयिलो के आखिरी दिनों पर लिखा गया है. यह नए पाठक के लिए बहुत अच्छा है.

फार्गास लोसा के अन्य मशहूर उपन्यासों में द ग्रीन हाउस, हू किल्ड पालोमिनो मोलेरो, और द बैड गर्ल भी हैं.

रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम

संपादनः ए कुमार