साहस, रफ्तार और तूफान फेटल
२६ नवम्बर २०१२मोड़ पर रफ्तार 296 किमी प्रतिघंटा, बाहर की तरफ से लंबा मोड़ काटते हुए ओलोंसो को ओवरटेक करने की कोशिश. इस दौरान फेटल की गाड़ी एक-दो सेकेंड के लिए ट्रैक के बाहर निकली, धूल उड़ी. लेकिन ब्रेक नहीं लगे बल्कि रफ्तार और तेज हो गई. फेटल ने ओलोंसो को पछाड़ ही दिया. बीते साल मोंजा के ट्रैक पर जब फेटल ने यह दुस्साहस किया तो कमेट्रेंटरों के शब्द थे, "अकल्पनीय, अद्भुत, चैंपियन जैसा कलेजा."
यही बानगी इस साल भी दिखी. आधे सत्र तक फर्नांडो ओलोंसो चैंपियनशिप की रेस में सबसे आगे थे, लेकिन हाफ टाइम के बाद खेल पलट गया. अगस्त तक फेटल सिर्फ एक रेस जीते थे. पर जापान, सिंगापुर, कोरिया और भारत में जीत हासिल कर फेटल सबसे ऊपर आ गए. तूफानी रफ्तार से उन्होंने फिर ओलोंसो को ओवरटेक किया और चैंपियनशिप ले उड़े.
25 साल के फेटल, इस वक्त फॉर्मूला वन के सभी ड्राइवरों के अपनी तरह सोचने पर मजबूर कर रहे हैं. विशेषज्ञ कह रहे हैं कि फेटल को सिर्फ फेटल की नकल करके ही हराया जा सकता है. इसके बावजूद कुछ और बातें हैं जो फेटल को बाकियों से जरा आगे रखती हैं.
गजब की ओवरटेकिंग
ओवरटेकिंग के मामले में प्रशंसक और आलोचक फेटल के कायल हैं. फॉर्मूला वन में बहुत कम ऐसे मौके दिखते हैं जब मोड़ पर लंबी कटिंग के साथ कोई ओवरटेक करे, फेटल इसमें एक्सपर्ट हैं.
आठ सिलेंडर वाली 750 हॉर्स पावर की गाड़ी को फेटल तकनीकी रूप से बहुत ज्यादा समझते हैं. अक्सर कमेंटेटर कहते हैं कि 25 साल के फेटल मोड़ों पर स्पीड घटाने-बढ़ाने के लिए सबसे सटीक ढंग से फ्लैप का इस्तेमाल करते हैं. फ्लैप फॉर्मूला वन कार के पीछे लगे रहते हैं, इन्हें ऊपर नीचे करने से पिछले पहियों पर दबाव का स्तर घटता बढ़ता है.
जीत के बाद अक्सर ज्यादातर ड्राइवर शाम का वक्त पार्टी में बिताते हैं, फेटल लंबा समय इंजीनियरों के साथ बिताते हैं. फेटल रेस के दौरान कई बार सबको चौंकाते हुए टायर बदलने का फैसला करते हैं और यह फैसले अब तक हमेशा सही साबित होते रहे हैं.
कड़ी प्रतिद्वंद्विता
इसमें कोई शक नहीं कि फेटल इस वक्त फॉर्मूला वन के सबसे बड़े ड्राइवर हैं. जिस तरह की प्रतिस्पर्द्धा का फेटल सामना कर रहे हैं उतना कड़ा मुकाबला एक्का दुक्का ड्राइवरों ने झेला है. 2010, 2011 और 2012 इन तीनों रेसों में फेटल को हर वक्त फर्नांडो ओलोंसो, लुईस हैमिल्टन, जेसन बटन, मार्क वेबर और निको हुल्केनबर्ग जैसे ड्राइवरों से जूझना पड़ा. उनकी हर एक जीत कड़ी प्रतियोगिता से निकली है.
ब्राजील के आर्यटन सेना को अब तक का सबसे महान फॉर्मूला वन ड्राइवर कहा जाता है. 1994 में रेस के दौरान एक हादसे में 34 साल के सेना की मौत हो गई. सेना की मौत के बाद ही मिषाएल शूमाखर उभरे. लेकिन अब फेटल और सेना की तुलना भी की जाने लगी है. समीक्षक कहते हैं कि फेटल अभी जवान हैं और जिस ढंग का वह प्रदर्शन कर रहे हैं उससे लगता है कि वह नई इबारत लिखेंगे.
शूमाखर के प्रशंसक
फेटल इस बारे में बात करना पसंद नहीं करते. अक्सर हंसी मजाक करने वाले फेटल सात बार फॉर्मूला वन चैंपियन रहे मिषाएल शूमाखर को अपना आदर्श मानते हैं. जर्मन ड्राइवर मिषाएल शूमाखर ने जब पहली बार चैंपियनशिप जीती तो फेटल सिर्फ सात साल के थे. तब फेटल के जीवन में माइकल जैक्सन, माइकल जॉर्डन और मिषाएल शूमाखर, यानी तीन 'एम' होते थे. वक्त बदलने के साथ दो एम छूट गए और सिर्फ मिषाएल ही बचे. शूमाखर के साथ रेस लगाने का फेटल का सपना पूरा भी हुआ. बीते तीन साल में वह हर बार शूमाखर से आगे निकले.
जिद्दी ड्राइवर बच्चा
1987 में जर्मनी के हेपेनहाइम शहर में पैदा हुए फेटल तीन साल की उम्र से गाड़ी चला रहे हैं. बचपन में वह गो कार्ट गाड़ी चलाते थे. इस दौरान उनके पिता ने कई डिब्बे लगाकर उनके लिए रास्ता बनाया. पिता अपने बेटे को यह सिखाना चाहते थे कि हर वक्त गाड़ी पर पूरा नियंत्रण कैसे रखा जाए. फेटल के पिता खुद हिल कार रेसिंग करते थे. इस माहौल ने फेटल को रेसिंग का दीवाना बना दिया. धीरे धीरे उम्र बढ़ने के साथ गाड़ियां बदलती गईं और फेटल छोटी बड़ी हर प्रतियोगिता जीतते चले गए.
पेशेवर रेसिंग
2006 में फेटल बीएमडब्ल्यू साउबर के टेस्ट ड्राइवर बने. टेस्ट ड्राइवर बनते ही शुक्रवार को होने वाली अभ्यास रेसों में उन्होंने अपना जलवा दिखाना शुरू कर दिया. तब ही वह ओलोंसो, बटन, रेकोनन, मासा जैसे ड्राइवरों को प्रैक्टिस में पीछे करने लगे. 2007 में जब उन्हें असल रेस का मौका मिला तो कुछ बड़े खिलाड़ियों ने अजीब सी प्रतिक्रिया दी. एक रेस के दौरान बीएमडब्ल्यू के फेटल ने रेडबुल के ड्राइवर मार्क वेबर को टक्कर मार दी, इसके बाद वेबर ने कहा, "इस बच्चे में अनुभव नाम की चीज ही नहीं है. आप कितना ही अच्छा प्रदर्शन करें, ये गड़बड़ कर देता है."
इन आलोचनाओं और कड़वे अनुभवों का फेटल पर कोई असर नहीं पड़ा. एक तरफ लोग उन्हें बच्चा कह रहे थे तो दूसरी तरफ रेड बुल के मालिक डीटरिष माटेशित्स खेल समझ गए थे. 2007 में माटेशित्स ने कहा, "फेटल दुलर्भ प्रतिभा का धनी युवा लड़का है. वह तेज है, होशियार है और वह तकनीकी को लेकर बहुत जिज्ञासु रहता है."
2008 में फेटल सबसे कम उम्र में फॉर्मूला वन रेस जीतने वाले ड्राइवर बन गए. आए दिन वह उनका प्रदर्शन लोगों को प्रभावित करता. मीडिया उन्हें 'बेबी शूमी' कहने लगा. 2009 में फेटल रेडबुल में आए और चैंपियनशिप में दूसरे स्थान पर रहे. तब कई पंडित भविष्यवाणी कर चुके थे कि जर्मन ड्राइवर अपने ही देश के महान ड्राइवर शूमाखर की जगह लेगा.
रिपोर्ट: ओंकार सिंह जनौटी
संपादन: आभा मोंढे