साउथ चाइना सी में कब्जा केवल चीन का ही मामला नहीं
२४ फ़रवरी २०१६अमेरिकी समाचारों में बताया गया है कि चीन ने साउथ चाइना सी के इलाके में अब लड़ाकू जेट विमान और जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइलें तैनात कर दी हैं. एक गुप्त सरकारी स्रोत के हवाले से अमेरिकी चैनल सीएनएन ने यह भी कहा है कि इन द्वीपीय इलाकों में युद्धक विमान तैनात करने की कार्रवाई चीन पहले भी कर चुका है. यह विवादित द्वीप भूमि के उस हिस्से में हैं जो शिपिंग मार्ग के लिहाज से दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है.
इस इलाके में जे-7 और जे-11 तैनात करने की खबर पर अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने चीनी विदेश मंत्री वांग यी से वॉशिंगटन में मिलकर बात की. हाल ही में पेंटागन ने कहा है कि वे इस इलाके में अंतरराष्ट्रीय मेरीटाइम कानूनों को बल देंगे. इस इलाके में बढ़ते तनाव पर वांग ने कहा, "साउथ चाइना सी इलाके में नेविगेशन की पूरी आजादी है."
इस क्षेत्र के बाकी देशों की आपत्ति के बावजूद वांग ने दोहराया कि पूरा सागर चीनी कब्जे में आता है और वे आगे भी इन द्वीपों में विस्तार और विकास का काम जारी रखेंगे. इस इलाके के पार्सेल चेन के वुडी आइलैंड पर 25 साल पहले से चीन ने रनवे का निर्माण कार्य शुरु किया था और 2014 में जाकर इसका बड़ा विस्तार किया. ताइवान और विएतनाम भी इस पर अपना कब्जा जताते हैं.
अमेरिका इन इलाकों में नियमित रूप से हवाई और जलमार्ग पेट्रोलिंग करना चाहता है. इससे वह इस इलाके में चीनी बेड़ों की गतिविधि पर नजर रख सकेगा, जिस मार्ग से हर साल 5 खरब डॉलर से भी अधिक का वैश्विक कारोबार होता है.
वॉशिंगटन वार्ता के बाद प्रेस से बातचीत में चीनी मंत्री वांग यी ने कहा कि चीन और असोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस मिलकर "पूरे साउथ चाइना सी इलाके में स्थायित्व बनाए रखने की क्षमता रखते हैं." उनका यह भी मानना है कि इस क्षेत्र का सैन्यीकरण करने के लिए कोई एक पक्ष जिम्मेदार नहीं है.
एक अमेरीकी थिंक टैंक ने बताया है कि चीन स्प्राटली द्वीप के इलाके में उच्च आवृत्ति वाले राडार तंत्र लगा सकता है जिससे उसे पूरे सागर पर नियंत्रण स्थापित करने में बड़ी कामयाबी मिलेगी.
दूसरी ओर चीन को मीडिया से ये शिकायत है कि वे साउथ चाइना सी के ही इलाके में अन्य पक्षों द्वारा लगाए गए राडार और हथियारों पर कुछ नहीं कहते और गलत तरीके से केवल चीन को ही निशाना बनाते हैं. इस महत्वपूर्ण व्यापारिक रूट पर चीन के अलावा विएतनाम, मलेशिया, ब्रुनेई, फिलिपींस और ताइवान भी अपना हक जताते हैं.