सही समय का इंतजार कीजिएः सुष्मिता
१५ जून २०१४आपने पहली बार अपनी मातृभाषा यानी बांग्ला में एक फिल्म साइन की है?
हां, इसका नाम है यदि एमन होतो (अगर ऐसा होता). इसकी कहानी पढ़ते ही मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई. यह पुरुष और महिला के बीच के समीकरणों पर लिखी एक जबरदस्त कहानी है. इसकी कहानी इसी सवाल के इर्द गिर्द घूमती है कि अगर ऐसा होता तो क्या होता. मैंने इस फिल्म के हिन्दी अधिकार भी खरीद लिए हैं. मैं इसका बेसब्री से इंतजार कर रही हूं.
बीच में अभिनय से ब्रेक लेने की कोई खास वजह?
ज्यादातर लोग सबसे पहले यही सवाल करते हैं. इसलिए यह सुन सुन कर बोर हो गई हूं. गोद लेते समय मेरी छोटी बेटी एलिसा की उम्र महज डेढ़ साल थी. ऐसे में उस पर ध्यान जरूरी था. इसके अलावा इस समय फिल्मोद्योग में नई अभिनेत्रियों की बाढ़ सी आई हुई है. वह तमाम तरह के ऊटपटांग किरदार निभाने लगी हैं. ऐसे में जब तक कोई सही फिल्म नहीं मिले, तब तक उसे करना उचित नहीं है. फिल्म ऐसी हो जो आपके समय और अभिनय प्रतिभा के साथ न्याय कर सके. अब करियर के इस पड़ाव पर बिना सोचे समझे फिल्में हाथ में लेना बेमतलब है. कभी कभी सही समय का इंतजार करना ही बुद्धिमानी है.
क्या इस ब्रेक के दौरान आपने फिल्मोद्योग की कमी महसूस हुई?
दूसरे कामों में व्यस्तता की वजह से मुझे ऐसा कुछ महसूस नहीं हुआ. सच तो यह है कि इस दौरान मुझे कोई ढंग की स्क्रिप्ट ही नहीं मिली. जो मिलीं, उनमें ऐसी कोई कशिश नहीं थी जो मुझे बच्चों और दूसरे कामों को छोड़ कर अभिनय के लिए खींच लाती. लेकिन अब एक साथ कुछ बेहतरीन फिल्मों के ऑफर मिले हैं. इसके अलावा मुझे यह डर नहीं था कि अभिनय से ब्रेक लेने पर दर्शक मुझे भूल जाएंगे.
आपने समय से पहले ही सक्रिय अभिनय से दूरी बना ली जबकि जूही चावला और माधुरी दीक्षित जैसी उम्रदराज अभिनेत्रियां अब भी लगातार काम कर रही हैं. इसकी क्या वजह है?
मुझे जूही और माधुरी के बारे में सोच कर बेहद प्रसन्नता होती है. वर्ष 1996 में जब मैं इस उद्योग में आई तब शादीशुदा अभिनेत्रियों के लिए फिल्मों में वापसी एक अजूबा या अनहोनी थी. दुनिया के दूसरे देशों में ऐसा नहीं है. वहां उम्रदराज अभिनेताओं को ध्यान में रखते हुए किरदार गढ़े जाते हैं. अब धीरे-धीरे हिन्दी फिल्मों में नए निर्देशकों के आने से माहौल कुछ बदल रहा है.
आप उन पहली अभिनेत्रियों में शामिल थीं जिन्होंने निर्माण के क्षेत्र में भी हाथ आजमाया था. लेकिन फिर आपने इससे तौबा क्यों कर ली?
इस उद्योग में पता नहीं कैसे यह एक अजीब धारणा है कि अगर कोई अभिनेत्री फिल्म निर्माता बन जाए तो लोगों को लगता है कि वह अभिनय छोड़ रही है. मेरे बारे में भी ऐसी कई बातें कही गईं. मैंने जब फिल्म बनाने का एलान किया तब मंदी पूरे चरम पर थी. सही मौका आने पर आगे भी फिल्में जरूर बनाऊंगी. लेकिन उससे पहले मुझे फिल्मों के विपणन की कला भी सीखनी है.
क्या अपने अब तक के सफर से संतुष्ट हैं?
हां, मैं जीवन से पूरी तरह संतुष्ट हूं. जितना सोचा था जीवन में उससे कहीं ज्यादा कामयाबी मिली है. मिस यूनिवर्स जीतने के बाद के इन 20 वर्षों में मैंने कामयाब होने की धारणा की कई बार नए सिरे से व्याख्या की है.
भावी योजनाएं?
प्रह्लाद कक्कड़ के निर्देशन में बनने वाली एक अन्य हिन्दी फिल्म को लोकर काफी उत्साहित हूं. फिलहाल इस पर काम चल रहा है और तमाम चीजें सही दिशा में आगे बढ़ीं तो यह एक बेहतरीन फिल्म होगी. यह कोई लव स्टोरी नहीं बल्कि एक सेक्सी थ्रिलर है.
मौजूदा दौर में कोई ऐसी फिल्म जिसे करने की चाह हो?
मैं क्वीन जैसी फिल्म में काम करना चाहूंगी. मैंने अपने बेटियों के साथ यह फिल्म देखी है. कंगना राणावत ने इसमें लाजबाव अभिनय किया है.
इंटरव्यूः प्रभाकर, कोलकाता
संपादनः अनवर जे अशरफ