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सलेम पर फांसी वाले मुकदमे भी चल सकते हैं

१० सितम्बर २०१०

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अंडरवर्ल्ड डॉन अबु सलेम पर ऐसे मामलों में भी मुकदमा चल सकता है जिनमें फांसी की सजा का प्रावधान है. वैसे पुर्तगाल की सरकार ने सलेम के प्रत्यर्पण से पहले शर्त रखी थी कि उसे फांसी नहीं होनी चाहिए.

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तस्वीर: UNI

एक अहम फैसले में जस्टिस पी सदाशिवम और अशोक कुमार गांगुली की बेंच ने कहा कि सलेम पर 1993 के मुंबई धमाकों के लिए टाडा कानून के तहत मुकदमों के अलावा हत्या (धारा 302) और आपराधिक षड़यंत्र (धारा 120-बी) के मामले में भी मुकदमा चलाया जा सकता है.

सर्वोच्च अदालत ने सलेम की इस दलील को खारिज कर दिया कि उसके खिलाफ ऐसे मामलों में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता जिनमें मौत की सजा का प्रावधान हो. पुर्तगाल की सरकार ने अबू सलेम को प्रत्यर्पित करने से पहले यही शर्त रखी थी. लेकिन अभियोजन पक्ष ने कहा कि पुर्तगाल की सरकार भारतीय अदालतों पर किसी तरह की पूर्व शर्त नहीं थोप सकती.

अदालत के फैसले में भी अभियोजन पक्ष की बात को माना गया है. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक दोनों देशों ने आंतकवाद उन्मूलन के लिए अंतरराष्ट्रीय समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. ऐसे में अगर सलेम के खिलाफ टाडा और भारतीय कानून की अन्य धाराएं लगाई जाती हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है.

सलेम को एनडीए सरकार के वक्त पुर्तगाल से भारत प्रत्यर्पित किया गया. उस वक्त उप प्रधानमंत्री एलके आडवाणी और विदेश राज्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने पुर्तगाल से वादा किया कि अबू सलेम को मौत की सजा नहीं दी जाएगी. 42 साल का सलेम 1993 के सिलसिलेवार मुंबई बम धमाकों का मुख्य आरोपी है. 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित होने के बाद से उसे मुंबई की एक जेल में रखा गया है. उसके खिलाफ हत्या समेत कुल नौ मामलों में मुकदमा चल रहा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः महेश झा

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