सर्न ने देखी कुंग फू ननों की कला
१८ नवम्बर २०१२हिमालय की तराई से स्विट्जरलैंड की प्रयोगशाला पहुंची ननों ने हाथ की कला और मजबूती दिखा कर सबको हैरान कर दिया. दुनिया भर के नामी विज्ञानी इस प्रयोगशाला में उस महाप्रयोग पर काम कर रहे हैं, जिसके तहत यह तय हो सकता है कि ब्रह्माण्ड की रचना कैसे हुई है.
इन कुंगफू ननों के गुरु ग्वालवांग द्रुपका ने कहा, "महिलाओं और पुरुषों में अलग अलग तरह की उर्जा होती है." द्रुपका तिब्बती हैं और बेहद अहम पद पर हैं. उनका पद दलाई लामा के कुछ ही नीचे आता है. उनका कहना है, "महिला और पुरुष, दोनों की ऊर्जा की जरूरत होती है, तभी विश्व को बेहतर बनाया जा सकता है."
उनका कहना है कि यह एक वैज्ञानिक सिद्धांत है और इसे समझना उतना ही आसान है, जितना सूर्य और चांद के संबंध के बारे में. सिर्फ चार साल की उम्र से जिम्मेदारी भरा काम कर रहे द्रुपका का कहना है कि सर्न आने का उनका मकसद सिर्फ वैज्ञानिक चीजों को समझना नहीं है.
उनके साथ दर्जन भर तिब्बती युवतियां भी थीं, जो बिलकुल तंदुरुस्त और फिट नजर आ रही थीं और जिन्होंने बाल मुंडवा कर मरून रंग का लबादा पहन रखा था.
द्रुपका इन युवतियों को लेकर दुनिया के अलग अलग हिस्सों में जा रहे हैं और वहां उनके मार्शल आर्ट का प्रदर्शन भी करवा रहे हैं. उनका कहना है, "मैं लोगों के बीच महिलाओं और पुरुषों में समानता की बात रखना चाहता हूं. मैं महिलाओं को जागरूक और सशक्त करना चाहता हूं."
इन महिलाओं का वीडियो यूट्यूब पर भी देखा जा सकता है. उनका कहना है कि उन्हें इन यात्राओं से काफी मदद मिल रही है. आम तौर पर तिब्बत और दुनिया के उस हिस्से में महिलाओं को मार्शल आर्ट से रोका जाता है.
ये महिलाएं लद्दाख में रहती हैं, जहां आम तौर पर महिलाओं को पुरुषों की सेवा करने वाला माना जाता है और वे घरेलू काम करती हैं. द्रुपका ने बताया कि तीन साल पहले उन्होंने इस कुचक्र को तोड़ने का फैसला किया और महिलाओं की स्थिति को बेहतर बनाने का इरादा किया. उन्हें कुंगफू सिखाया गया और आत्मरक्षा के गुर बताए गए.
सर्न की विज्ञानी पाउलिन गांगोन ने कहा, "यह बहुत अच्छी बात है." गांगोन ने हाल ही में एक ब्लॉग लिखा है, जिसमें वैज्ञानिक क्षेत्र में महिलाओं की कम भागीदारी का जिक्र किया गया है.
सर्न में हाल ही में एक कांफ्रेंस हुआ था, जिसका विषय विज्ञान और धर्म था. इसके बाद इन बौद्धों का सर्न दौरा अहम है. खुद दलाई लामा भी 1983 में यहां आ चुके हैं. उनके अलावा पोप जॉन पॉल द्वितीय ने 1982 में सर्न का दौरा किया, जबकि मौजूदा पोप को भी यहां आने का न्योता है.
एजेए/एएम (रॉयटर्स)