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सम्मेलन में सुरक्षा परिषद पर बोलीं स्वराज

ईशा भाटिया (पीटीआई)२७ अक्टूबर २०१५

भारत-अफ्रीका शिखर सम्मेलन को अफ्रीका के बाहर अफ्रीकी देशों का सबसे बड़ा जमावड़ा बताया जा रहा है. 29 अक्टूबर तक चलने वाले इस सम्मेलन में अफ्रीकी संघ के सभी 54 देश शिरकत कर रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/epa

नई दिल्ली में शिखर सम्मेलन के दौरान विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कई अफ्रीकी देशों के विदेश मंत्रियों के साथ द्विपक्षीय मुलाकात की और आपसी हितों के मुद्दों पर विचार विमर्श किया. तीसरे भारत अफ्रीका शिखर सम्मेलन के दौरान स्वराज ने अफ्रीकी विदेश मंत्रियों के साथ अलग अलग द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की.

भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता चाहता रहा है. अफ्रीका के साथ शिखर वार्ता के दौरान सुषमा स्वराज ने एक बार फिर भारत की इच्छा को साफ शब्दों में व्यक्त किया. अफ्रीका का समर्थन प्राप्त करने के लिए स्वराज ने भारत और अफ्रीका, दोनों की हिस्सेदारी की बात कही. उन्होंने कहा, "भारत और अफ्रीका में कुल मिला कर 2.5 अरब लोग रहते हैं. इसके बावजूद शासन प्रणाली के लिए अहम अंतरराष्ट्रीय संगठनों से हमें आज भी अलग रखा गया है. भारत और अफ्रीका को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता से वंचित नहीं रखा जा सकता."

स्वराज ने कहा कि भारत और अफ्रीका के पास सदस्यता का अधिकार होना ही चाहिए, "हम ऐसे संगठनों के औचित्य को कैसे अपना लें जो पूरे अफ्रीकी महाद्वीप को अपना हिस्सा नहीं मानता और एक ऐसे देश को भी जो दुनिया की 1/6 आबादी का प्रतिनिधित्व करता है."

स्वराज इस मौके पर आतंकवाद के मुद्दे पर भी बोलीं, "जिस तरह से दुनिया भर में आतंकवाद का जाल फैल रहा है, हमारी खुफिया एजेंसियों को एक दूसरे के साथ मिल कर काम करना होगा, हमें आतंकवाद से निपटने के लिए ट्रेनिंग में भी एक दूसरे का सहयोग करना होगा." इसके अलावा उन्होंने कृषि, शिक्षा, ऊर्जा, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्रों में सहयोग पर भी जोर दिया.

जलवायु परिवर्तन पर भी उन्होंने भारत और अफ्रीका को साथ आने का आमंत्रण दिया. उन्होंने कहा कि पेरिस में होने वाली कॉप21 बैठक से पहले भारत और अफ्रीका को मिल कर कुछ नतीजों पर पहुंचना चाहिए, "हमारे मध्यस्थ इस वक्त बॉन में पूरी कोशिश कर रहे हैं. हम उम्मीद करते हैं कि पर्यावरण परिवर्तन को ले कर एक समझौते पर पहुंच पाएंगे."

भारत और अफ्रीकी देशों के आर्थिक संबंधों पर जोर देते हुए स्वराज ने कहा, "हम दुनिया की सबसे तेजी से विकास करने वाली अर्थव्यवस्थाएं हैं. हाल के सालों में भारत और अफ्रीका के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ा है और हम इस पर बहुत खुश हैं. पिछले 15 सालों में हमारा द्विपक्षीय कारोबार 20 गुना हो गया है और खास कर पिछले पांच सालों में यह दोगुना हो कर 72 अरब डॉलर तक पहुंच गया है." स्वराज ने बताया कि पिछले एक दशक में 40 से ज्यादा अफ्रीकी देशों में भारत के 140 प्रोजेक्ट को स्वीकृति मिली जिन में से 60 पूरे भी किए जा चुके हैं.

इस दौरान रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन हो रहा है और मेहमानों के लिए खास भारतीय पकवान भी बनाए जा रहे हैं. शेफ कुणाल कपूर तो ट्विटर के माध्यम से लोगों से उनकी सलाह भी मांग रहे हैं कि दूसरे देशों की प्रथम महिलाओं को भारत के कौन से जायकों से परिचित कराया जाना चाहिए.

कूटनीतिक रूप से भारत और अफ्रीका के बीच बहुत कुछ हो रहा है लेकिन अगर भारत में रहने वाले अफ्रीकी छात्रों के अनुभवों की बात करें, तो स्थिति दर्दनाक लगती है. इस वीडियो में देखें कि कैसे भारत में रहने वाले अफ्रीकी नागरिकों को दिन रात नस्लवाद का सामना करना पड़ता है.

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