पाठकों की हाल के दिनों में भेजी प्रतिक्रियाएं.
२७ जनवरी २०१५"महिलाओं और पुरुषों के सपने एक दूसरे से अलग होते हैं " वेबसाइट पर यह रिपोर्ट पढ़ कर राकेश बंभानिया लिखते हैं सपने हमेशा कलरफुल होते हैं, कभी भी ब्लैक एंड व्हाइट नहीं होते. सबसे दुर्लभ सपना वो होता है जिसमें सपने देखने वाला सपने के अंदर सपना देखता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि सपने दिमाग की गैरजरुरी जानकारी की सफाई का परिणाम है. हेजहोग को छोड़कर बाकी के सभी प्राणी सपने देखते हैं.
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प्रभाकर जी का ब्लॉग "राजनीतिक इच्छाशक्ति और जागरुकता जरूरी" पढ़ कर मनाली वर्मा कहती हैं हमारे देश में पॉलिटिक्स है और इच्छा शक्ति भी है, लेकिन वो इच्छा शक्ति देश में भ्रष्टाचार, अवसरवाद, शक्ति और पोजीशन के लिए होती है. सरकार और राजनीतिज्ञों को कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारे देश में आधी से भी ज्यादा आबादी आज भी भूखमरी और कुपोषण की शिकार है. यह हालत तब भी थी जब ब्रिटिश राज था और आज भी है. फर्क सिर्फ इतना आया है कि तब हम पर राज करने वाले बाहर के थे और अब हमारे अपने ही देश के लोग हम पर राज कर रहे हैं.
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"खबरें तो हमें बहुत जगहों से मिल जाती हैं लेकिन डीडब्ल्यू हिंदी से न केवल भरोसेमंद न्यूज मिलती है बल्कि साथ में ज्ञान विज्ञान की न्यूज भी मिलती हैं. डीडब्ल्यू परिवार को बहुत बहुत धन्यवाद." टेक चंद ढाका
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"मैं डॉयचे वेले का फैन हूं. आपकी सभी रिपोर्ट्स पढ़ता हूं. मंथन प्रोग्राम केवल शनिवार के दिन ही नहीं हर रोज दिखाना चाहिए. पूरा हफ्ता इंतजार करना पड़ता है." सागर जलवादीआ
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आपने देखा होगा भारत में ट्रकों के पीछे कुछ जुमले लिखे होते हैं. ट्रक शायरी का अपना ही मिजाज़ है. पाठकों से मिले कुछ जुमले हमने आपके लिए यहां इकट्ठे किए हैः
दम है तो पास कर, वरना बर्दाश कर
लटक मत पटक दूंगी, अंदर बैठ मज़ा दूंगी
सावधानी हटी दुर्घटना घटी, फिर मिलेंगे
धीरे चलोगे तो बार बार मिलेंगे, तेज़ चले तो हरिद्वार मिलेंगे
हंस मत पगली, प्यार हो जायेगा
मर्द जिनको जल्दी थी वो चले गए
बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला
उनको बहुत जल्दी थी..और वे जल्दी चले गये
ऐसा कोई सगा नहीं, जिसने हमको ठगा नहीं
भोजपुरी में लिखा होता है - "सटला त गइला बेटा"..
गाड़ी है की तीर, जम का चली सीना चीर
मालिक की गाड़ी ड्राईवर का पसीना, चलती है रोड पर बनकर हसीना
निकलने वाले कब के निकल गए
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