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सत्यम प्रमुख समेत 10 धोखाधड़ी के दोषी करार

९ अप्रैल २०१५

भारत की एनरॉन कही जाने वाली आईटी कंपनी सत्यम के मुखिया बीरामा राजू और उनके 9 अन्य सहयोगियों को विशेष अदालत ने 14 हजार करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का दोषी पाया है.

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Indien Ramalinga Raju
तस्वीर: picture-alliance/dpa

छह साल पहले भारत के कॉर्पोरेट जगत के सबसे बड़े अकाउंटिंग घोटाले ने देश को हिला दिया था. भारत की आईटी आउटसोर्सिंग कंपनी सत्यम के प्रमुख राजू और उनके 9 सहयोगियों को कोर्ट ने आपराधिक षड़यंत्र रचने और धोखाधड़ी का दोषी करार दिया है. राजू खुद 7 हजार करोड़ रुपये के घोटाले की बात मान चुके हैं, लेकिन मामले की जांच कर रही एजेंसी सीबीआई ने इसे 14 हजार करोड़ का घोटाला बताया है. इस घोटाले से आईटी उदयोग में तेजी से पांव पसारते भारत की छवि को बड़ा धक्का लगा था.

राजू के अलावा सजा पाने वालों में उनकी कंपनी के पूर्व कर्मी जी रामाकृष्णा भी शामिल हैं. इन दोनों को आईपीसी की धारा 201 के तहत अपराध के सबूत मिटाने का भी दोषी पाया गया. हैदराबाद की एक विशेष अदालत ने आउटसोर्सिग कंपनी के संस्थापक राजू के अलावा उनके दो भाईयों और सत्यम कंप्यूटर सर्विसेज में काम करने वाले सात अन्य अधिकारियों को भी दोषी पाया है.

विशेष अदालत हैदराबाद में है जहां से 1987 में राजू ने सत्यम की शुरुआत की और इसी शहर को अपना मुख्यालय बनाया. राजू को अदालत ने 7 साल की जेल की सजा सुनाई और 5 करोड़ रुपये का जुर्माना भी लगाया है. बाकी नौ दोषियों को भी सात-सात साल की कैद की सजा मिली.

इन सब आरोपियों को फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करने, हिसाब में गड़बड़ी और सबूत छुपाने का दोषी पाया गया है. केन्द्रीय जांच एजेंसी के जांचकर्ताओं ने पाया कि राजू और अन्य की धोखाधड़ी के कारण कंपनी के शेयरधारकों को 14 हजार करोड़ रूपए का नुकसान हुआ. इन सभी आरोपियों को 2009 में गिरफ्तार किया गया था. 2010 में उन पर धोखाधड़ी के आरोप की जांच शुरु हुई लेकिन 2011 में जमानत पर रिहा हो गए.

2010 में घोटाले की बात सामने आने के समय सत्यम भारत की चौथी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर सर्विस कंपनी थी और इसका काम दुनिया के 66 देशों में फैला हुआ था. इसके ग्राहकों में फॉर्चून 500 की एक तिहाई कंपनियां और खुद अमेरिकी सरकार भी शामिल थी. 2009 में राजू ने धोखाधड़ी की बात कबूल की और माना कि उन्होंने कंपनी की संपत्ति को काफी बढ़ाचढ़ा कर दिखाया था. इस बीच सत्यम का टेक महिंद्रा कंपनी ने अधिग्रहण कर लिया है और 2012 में उसका विलय कर दिया गया.

आरआर/एमजे (एपी, डीपीए)