सऊदी अरब से शीत युद्ध जीतता ईरान
ईरान और सऊदी अरब एक दूसरे को फूटी आंख नहीं देखना चाहते. दोनों के बीच शीत युद्ध छिड़ा रहता है. लेकिन फिलहाल इसमें ईरान को जीत मिलती दिख रही है. रियाद नर्वस हो रहा है.
भीतरी माहौल
ईरान में अंदरूनी माहौल शांतिपूर्ण हैं. ईरान विरोधी डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी की लोकप्रियता भी अपने देश में बढ़ी है. पश्चिम के साथ परमाणु करार करने के बाद ईरान के लिए कूटनीति के दरवाजे खुल चुके हैं. यह बात सऊदी अरब को परेशान कर रही है.
आर्थिक विकास
आर्थिक प्रतिबंधों में ढील मिलने के बाद से ईरान की अर्थव्यवस्था लगातार बेहतर हो रही है. आईएमएफ के मुताबिक ईरान की जीडीपी 23.3 अरब डॉलर से बढ़कर 426.7 अरब डॉलर की हो चुकी है. चीन के भारी निवेश के बाद अब रूस भी ईरान से 30 अरब डॉलर का समझौता करने जा रहा है.
यूरोप का साथ
ईरान की कूटनीति अब यूरोप में भी असर कर रही है. ट्रंप ईरान के साथ परमाणु करार को रद्द करने की बात कह चुके हैं लेकिन यूरोप अब भी करार का समर्थन कर रहा है. अमेरिका के कड़े रुख के चलते रूस और चीन ने ईरान को खासी तवज्जो दे रहे हैं.
तुर्की के साथ गठजोड़
कुर्द लोग, तुर्की और ईरान के साझा दुश्मन है. इराक और सीरिया से कुर्द गुटों को खड़ेदने के लिए दोनों देश हाथ मिला रहे हैं. सऊदी अरब और कतर के मतभेदों का फायदा भी ईरान को मिल रहा है. ईरान और तुर्की, कतर को मदद का भरोसा दे रहे हैं.
इराक भी पाले में
कभी इराक और ईरान एक दूसरे को बिल्कुल नापसंद करते थे. लेकिन आज हालात बदल चुके हैं. इराकी कुर्दों ने देश के उत्तरी इलाके में आजादी की घोषणा कर दी है. कुर्दों को रोकने के लिए इराक पूरी तरह तेहरान पर निर्भर नजर आता है. ईरान के शिया उग्रवादी कुर्दों के खिलाफ इराकी फौज की मदद कर रहे हैं. अमेरिका ने इराक से उग्रवादियों को खदेड़ने को कहा, बगदाद ने इस मांग को ठुकरा दिया.
हिज्बुल्लाह कनेक्शन
लेबनान में भी तेहरान का प्रभाव बढ़ा है. बेरुत की मौजूदा सत्ता उग्रवादी संगठन हिज्बुल्लाह के सामने कमजोर है. हिज्बुल्लाह को ईरान संरक्षण देता है.
यमन में सऊदी अरब पर शिकंजा
हूसी उग्रवादी यमन में सरकार के विरुद्ध लड़ रहे हैं. हूसी समुदाय को ईरान का समर्थन है, वहीं सरकार को सऊदी अरब का. तमाम कोशिशों के बावजूद सऊदी अरब का सैन्य अभियान शिया हूसी उग्रवादियों पर काबू नहीं कर पाया है. आम लोगों पर हमले की घटनाओं के चलते उल्टा सऊदी अरब के सैन्य अभियान की बीच बीच में निंदा होती रहती है.
असद की सत्ता
रूसी और ईरानी सेना के सहारे सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद मजबूत होते जा रहे हैं. इस्लामिक स्टेट के पैर उड़खते जा रहे है. जिन जिन इलाकों से आईएस भाग रहा है, वहां असद की सेना पैर जमा रही है. अब तो यूरोप भी मान रहा है कि सीरिया का गृह युद्ध असद की सत्ता को खत्म नहीं कर सकता.
सऊदी प्रिंस का असर
सऊदी अरब के नए क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान अपने देश के भीतर ही राजनीतिक उथल पुथल मचा रहे हैं. वे कई वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों पर मुकदमे दर्ज करवा चुके हैं. विश्लेषक कह रहे हैं कि सऊदी अरब के राजा विरोधियों को किनारे लगा रहे हैं. इस भीतरी द्वंद्व का फायदा भी तेहरान को मिलेगा.