संगीत बजा कर खुदकुशी रोकने वाला चौकीदार
२२ दिसम्बर २०१८60 साल के हो चुके संगीतकार क्योची वातानाबे ने बीते आठ साल से यह अभियान छेड़ रखा है. उनका मकसद उन लोगों की जान बचाना है जो जिंदगी से बेजार हो कर यहां खुदकुशी करने आते हैं. आओकिगाहारा जंगल पिछले साल तब दुनिया की सुर्खियों में आ गया जब यूट्यूब स्टार लोगान पॉल ने यहां अपनी ऑनलाइन सीरीज का एक एपिसोड शूट किया. इस एपिसोड में जंगल में खुदकुशी करने वाले एक शख्स को भी दिखाया गया. इस वीडियो की बड़ी आलोचना हुई और उन्हें इसे डिलीट करने के साथ ही लोगों से माफी मांगनी पड़ी.
वातानाबे जंगल में खुदकुशी की बातों से बहुत तकलीफ में आ जाते हैं. वह इन्हीं जंगलों के पास पैदा हुए और जीवन का ज्यादातर समय भी बिताया. वातानाबे कहते हैं, "यह प्रकृति का जंगल है, धर्म का जंगल है. यह वैसी जगह नहीं है. क्या लोग इस जंगल को जहन्नुम बनाना चाहते हैं?"
वातानाबे आओकिगाहारा जंगल के किनारे ही एक झोपड़ी में रहते हैं. आओकिगाहारा का मतलब होता है, "नीले पेड़ों का मैदान." जैसे ही रात घिरती है वातानाबे अपने घर को रॉक और हिप हॉप म्यूजिक से गुलजार कर देते हैं. जंगल के अंधेरों को चीरती ये आवाजें दूर दूर तक गूंजने लगती हैं. उनका मानना है कि संगीत की समस्या और परेशानी में घिरे निराश लोगों का मन बदल सकती है.
कभी कभी वो गिटार बजा कर माइक्रोफोन पर अपनी पसंद के गीत गाते हैं और जंगल की खामोशी तोड़ते हैं. एक बार उन्होंने खुदकुशी करने जा रहे एक शख्स को सीधे सीधे रोक भी लिया उसे वापस अपने घर जाने के लिए मना लिया. वातानाबे ने बताया, "वह अपने घर लौट गया और अब भी मुझे फेसबुक पर संदेश भेजता है."
आओकिगाहारा का लंबा इतिहास नवीं सदी के मध्य तक जाता है जब माउंट फूजी में विस्फोट हुआ और उसके बाद निकला लावा 30 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैल गया. बाद में यह इलाका जंगल में तब्दील हो गया. स्थानीय लोग पेड़ों की पूजा करते हैं और इलाके को पवित्र मानते हैं. इसे खतरों का पहले से आभास देने वाली जगह माना जाता, एक दूसरे से सटे पेड़ों वाला घना जंगल सूरज की किरणों तक को जमीन पर पहुंचने से रोक देता है. 1970 के दशक में इसे कई मशहूर उपन्यासों, फिल्मों और टीवी नाटकों में आत्महत्या की एक काल्पनिक जगह के रूप में दिखाया गया. नतीजा ये हुआ कि दूर दूर से लोग यहां खुदकुशी के लिए आने लगे. प्रशासन कोई आधिकारिक आंकड़ा तो नहीं देता लेकिन एक समय ऐसा भी था जब हर साल दर्जनों लोग अपनी जान दे रहे थे.
जंगल के प्रवेश द्वार पर लिखा है, "जिंदगी अनमोल है जो आपके मां बाप ने आपको दी है. एक बार फिर शांत हो कर अपने मां बाप, भाई बहनों और बच्चों के बारे में सोचिए. अकेले परेशान मत होइये, पहले हमसे बात करिए." इसके साथ ही एक हॉटलाइन नंबर भी है जिस पर कॉल करने का अनुरोध किया गया है. सात सबसे बड़े औद्योगिक देशों में शामिल जापान में खुदकुशी की दर वैसे भी बहुत ज्यादा है. यहां हर साल करीब 20 हजार लोग खुदकुशी करते हैं.
जिस जगह यह जंगल मौजूद है, आठ साल पहले वहां खुदकुशी की दर सबसे ज्यादा थी और यही स्थिति 2014 तक बनी रही. यहां खुदकुशी करने वालों में आधे से ज्यादा ऐसे थे जो इसके लिए बाहर से आए थे. स्थानीय लोगों का कहना है कि हाल के वर्षों में इसमें कमी आई है. कुछ लोगों को यह भी उम्मीद है कि शायद अब इसकी बदनामी खत्म हो जाए.
वतानाबे जानते हैं कि अभी बहुत संघर्ष करना होगा लेकिन उनका कहना है कि वह अपने अभियान के प्रति समर्पित हैं, "क्योंकि मैं यहां जन्मा हूं, मुझे इसकी रक्षा करनी है." वो कहते हैं, "मैं यहां का चौकीदार हूं, मुझे लगता है कि यह मेरा कर्तव्य है."
एनआर/ओएसजे (एएफपी)