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संकटकाल में नई विश्व व्यवस्था

मथियास फॉन हाइन
१६ फ़रवरी २०१७

बॉन में विदेश मंत्रियों की बैठक के साथ जी-20 की प्रक्रिया में तेजी आ रही है. जर्मनी ने अपनी अध्यक्षता के दौरान एक महात्वाकांक्षी एजेंडा तय किया है. चुनावी साल में अंगेला मैर्केल पर भी सफलता पाने का दबाव है.

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Deutschland Bonn - G20 - Außenministertreffen 2017 Logo
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Rolf Vennenbe

दुनिया में असुरक्षा और अशांति बढ़ रही है. और वह अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद ही नहीं. लेकिन उसके बाद जानी मानी चीजों पर भी सवाल उठाये जा रहे हैं. ऐसे में ऐसे मंचों की जरूरत बढ़ जाती है जिनमें दुनिया के देश और उनके नेता अपनी रायों का अनौपचारिक रूप से आदान प्रदान कर सकें. अनौपचारिक का मतलब ये है कि जहां बाध्यकारी फैसले न लिए जाते हों.

जी-20 ऐसा ही एक मंच है. एक दिसंबर 2016 से जर्मनी इस मंच का अध्यक्ष है और कई मंत्रिस्तरीय सम्मेलनों के साथ जुलाई में हैम्बर्ग में होने वाले शिखर सम्मेलन की तैयारी कर रहा है. 16 और 17 फरवरी को बर्लिन में विदेश मंत्रियों के सम्मेलन के साथ इस प्रक्रिया में तेजी आ रही है.

अफ्रीका पर जोर

जर्मनी ने जी-20 के सम्मेलनों में बहस के लिए विषयों का व्यापक पैकेज मेज पर रखा है. इसमें मुक्त व्यापार, वित्त बाजारों के नियमन और पर्यावरण जैसे क्लासिक विषयों के अलावा महामारियों से संघर्ष, स्वास्थ्य सुरक्षा भी हैं. आतंकवाद और आप्रवासन तथा शरणार्थी जैसे बड़े मुद्दे भी हैं. जर्मनी देश छोड़कर भागने वालों की उनके देशों में ही मदद करने के मुद्दे पर जी-20 के साथियों का समर्थन जुटाना चाहता है. पिछले दिनों जर्मन दूत लार्स हेंडरिक रोलर ने संयुक्त राष्ट्र में जी-20 के अफ्रीका पार्टनरशिप पहलकदमी पर जोर दिया था. इसे जून में बर्लिन में अलग से होने वाले अफ्रीका सम्मेलन के दौरान पेश किया जाएगा.

Deustchland Brigitte Zypries beim  48. Deutsch-Franzoesischer Wirtschaftsrat
तस्वीर: picture-alliance/CITYPRESS 24

पिछले हफ्ते जर्मनी की नई अर्थनीति मंत्री ब्रिगिटे सिप्रीस अफ्रीकी देशों के दौरे पर गई थीं जिसमें उनका मुख्य जोर जर्मनी की अध्यक्षता के अलावा अफ्रीका की सहायता और टिकाऊ विकास पर था. सिप्रीस ने अफ्रीका को संभावनाओं वाला इलाका बताया जहां की आबादी 2050 तक 2 अरब होगी.

एक दूसरे से परिचय

यह सम्मेलन जर्मनी के नए विदेश मंत्री के लिए जी-20 के अपने साथियों से मिलने का भी मौका है. जर्मन विदेश नीति सोसायटी की क्लाउडिया श्मुकर एजेंडे से ज्यादा महत्वपूर्ण आपसी परिचय और मंत्रियों के बीच अनौपचारिक बातचीत को मानती हैं, "ये खासकर अमेरिका के साथ संपर्क के मामले में और भी महत्वपूर्ण है. ट्रंप जी-20 के सभी मुद्दों को आलोचना की नजर से देखते हैं, मुक्त व्यापार के साथ संरक्षमवाद के विरोध को भी. वे मल्टीलैटरल समझौतों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के भी खिलाफ हैं."

USA Donald Trump besucht die MacDill Air Force Base in Tampa
तस्वीर: Reuters/C. Barria

शायद इसीलिए जी-20 के लिए जर्मन शेरपा लार्स हेंडरिक रोलर ने अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भूमिका पर जोर देते हुए कहा है, "वैश्विक समस्याओं की कमी नहीं है. वैश्विक समस्याओं के लिए वैश्विक समाधान चाहिए. इसमें जी-20 को मदद करनी चाहिए." रोलर ने कहा है कि बहुपक्षीयता और व्यापार जैसे इलाकों में सहयोग जर्मन सरकार की प्राथमिकता है.

जर्मनी में चुनाव

जी-20 के सम्मेलनों को जर्मनी में होने वाले चुनावों के साथ भी जोर कर देखा जा रहा है. इस साल जर्मनी में संसदीय चुनाव होने वाले हैं और शरणार्थी नीति के कारण चांसलर अंगेला मैर्केल की लोकप्रियता कम हुई है. भूमंडलीकरण विशेषज्ञ क्लाउडिया श्मुकर का कहना है कि जर्मनी की अध्यक्षता पर काले बादल मंडला रहे हैं. "विश्व अर्थव्यवस्था अच्छी हालत में नहीं है. अमेरिका में नए राष्ट्रपति आए हैं और लोगों को पता नहीं है कि उनके साथ किस तरह पेश आया जाए और जर्मनी में चुनाव होने वाले हैं. ये सब अहम फैसलों को मुश्किल बनाएगा."

और इसमें कोई संयोग नहीं है कि जर्मनी चुनाव के साल ही जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है. बर्लिन के एक थिंक टैंक के हैरिबर्ट डीटर इसकी आलोचना करते हुए कहते हैं, "इसका चुनाव से लेना देना है. दूसरे देशों के नजरिये से जी-20 का इस्तेमाल जर्मनी के चुनाव के लिए अच्छी तस्वीरें खिंचवाने के लिए किया जाएगा. ये वह बात नहीं है जिसकी दूसरे देश जर्मनी की अध्यक्षता से अपेक्षा करें."