श्रोताओं की राय
२९ अप्रैल २०१०खोज में, हाल ही में हवाई उड़ान को कुछ दिनों तक बाधित कर देने वाले ज्वालामुखी राख के बादल के बारे में दी गई जानकारी दिलचस्प अवम ज्ञानवर्धक लगी. आश्चर्य की बात हैं कि इस भयानक दौर में भी इन राख कणों की संघनता जानना नामुमकिन हैं. इसी से इस राख के बादल की भयावहता जानी जा सकती हैं कि वों कितनी ख़तरनाक हैं जिसने समूचे विश्व की एयरलाइन्स को अरबों की चपत लगा दी हैं, साथ ही मुसाफ़िरों व सरकारों को जो कष्ट हुआ सो अलग. शुक्र है कोई दुर्घटना नहीं हुई.
अतुल कुमार, राजबाग रेडियो लिस्नर्स क्लब, सीतामढ़ी, (बिहार)
शनिवार को प्रसारित कार्यक्रम में अमिताभ बच्चन जी की बीमारी के बारे में बताया गया कि वे लीवर सिरोसिस से पीड़ित हैं. यह उनके प्रशंसकों के लिए चिंता का विषय हैं. भगवान उन्हें हमेशा निरोग रखें. यहीं हमारी प्रार्थना हैं.
अलकनंदा रेडियो टी वी लिस्नर्स क्लब, गरवाल, उत्तर प्रदेश
खोज के ताजा अंक में आईसलैंड की ज्वालामुखी से निकले राख के गुबार में हवाई उड़ान बाधित होने के कारण और अंतरिक्ष में दूसरी दुनिया की खोज के बारे में दी गई जानकारी काफी शिक्षाप्रद और रोमांचक लगी. इसके लिए आपका हार्दिक धन्यवाद. खोज का प्रसारण रविवार के दिन हो या शुक्रवार को, इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. समय कम होने के कारण छोटे छोटे विज्ञान समाचार आजकल नहीं सुना रहे हैं. यह कमी जरूर हमें महसूस होती है.
लाइफ़ लाइन में अबु धाबी के पास इकोसिटी निर्माण की योजना रोचक और शिक्षाप्रद लगी. जलवायु परिवर्तन के संकट काल में इस तरह का शहर जन्नत के समान है. लेकिन यहां जिंदगी गुजारना बहुत महंगा पड़ेगा. इस प्रकार यह शहर
रईसज़ादों का ऐशगाह बन कर रह जायेगा.
वेस्ट वॉच में जर्मन इतिहास में हिटलर की क्रूरता के एक और काले अध्याय से परिचित हुआ.
जानकारी के लिए आप सबका हार्दिक धन्यवाद.
चुन्नीलाल कैवर्त ,ग्रीन पीस डी एक्स क्लब सोनपुरी,टेंगनमाड़ा,बिलासपुर, छत्तीसगढ़
संसद में कटौती विधायक पर लालू और मुलायम की पार्टी का सांसद से बाहर रहना हमारे लिए बहुत बुरा हैं. हमें संसद में ऐसे कानून चाहिए, ताकि हर सांसद भाग ले. हमारे नेता अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं, उनका ये रूप कटौती प्रस्ताव के समय दिखता है, आखिर उन्हें सांसद में वोट देने में क्या समस्या हैं.
दीपक मेहरा, पिथौरागढ, उत्तराखण्ड
शाम की सभा में कार्यक्रम वेस्ट वॉच सुना. हिटलर के ज़माने में शक के आधार पर कालोन स्थित जिस एल डी भवन में लोगों को यातनाएं दी जाती थी, उस भवन के बारे में विस्तार से जानने को मिला. लोगों पर किए गए शारीरिक, मानसिक और गर्भवती महिलाओं पर किये गए अत्याचार सुनकर उस दौर के दर्दनाक वक्त का अहसास हुआ. दीवारों पर कैदियों द्वारा लिखे संदेशों से जेल के अन्दर के जीवन का पता चलता है और जो हाल हिटलर के ज़माने में लोगों ने सहा है. जर्मन लोग यह कभी भूल नहीं पाएंगे. जानकर आश्चर्य हुआ कि लोगों को पीड़ा पहुंचाने में उस दौर में जर्मनी के लोग भी शामिल थे.
कार्यक्रम और जानकारी के लिये धन्यवाद.
संदीप जावले, मारकोनी डीएक्स क्लब, पर्ली वैजनाथ, महाराष्ट्र