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श्रीलंका में धार्मिक दंगों के हालात

१७ जून २०१४

श्रीलंका में धार्मिक गुटों के बीच हाल ही में हुई हिंसक मुठभेड़ के बाद से प्रभावित इलाकों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा हुआ है. लेकिन इसके बावजूद मुसलमानों की बहुलता वाले कुछ इलाकों में हिंसा नहीं रूक रही.

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तस्वीर: DW/Miriam Klaussner

बढ़ती अंतरराष्ट्रीय चिंताओं के बीच, सोमवार की रात भी बौद्ध उग्रपंथियों ने श्रीलंका के कुछ इलाकों में मुसलमानों की दुकानों और घरों को आग लगा दिया. इन इलाकों में कर्फ्यू लगे होने के बावजूद अब तक चार लोगों की हत्या और करीब 80 लोगों के गंभीर रूप से घायल होने की खबरें मिलीं हैं. हिंसा से प्रभावित आलूथगामा इलाके में बहुत सारी गाड़ियों को भी जलाया गया है. मंगलवार को भी छिटपुट हिंसा हुई लेकिन दोपहर तक स्थिति पर काबू पा लिया गया.

अल्पसंख्यकों का असर

रविवार को कोलंबो से 60 किलोमीटर दूर आलूथगामा में बौद्ध कट्टरपंथियों ने उन पर किए गए एक हमले का बदला लेने के लिए रैली निकाली. ये लोग कट्टरपंथी बौद्ध संगठन बोडू बाला सेना (बीबीएस) के सदस्य हैं जिसमें बौद्ध भिक्षु भी शामिल हैं. इसी दल के नेता ने भाषण में कहा था कि देश में बौद्ध लोगों को नुकसान पहुंचाने वाले किसी को भी बख्शा नहीं जाएगा. श्रीलंका में करीब 70 फीसदी लोग बौद्ध धर्म को मानते हैं.

ये हमले पहले से धार्मिक गुटों के बीच हो रहे तकरार का ताजा उदाहरण हैं. इसी साल जनवरी और उसके पहले पिछले साल भी बौद्ध भिक्षुओं के समूह ने राजधानी कोलंबो की मस्जिद पर हमला किया था. करीब 2 करोड़ की कुल आबादी वाले देश श्रीलंका में मुसलमानों की तादाद की करीब 10 फीसदी है. बौद्ध लोग आरोप लगाते रहे हैं कि मुसलमान अल्पसंख्यकों का सरकार पर बहुत ज्यादा प्रभाव है. हाल के दिनों में हुए नस्ली हमलों के बाद मुस्लिम नेताओं ने राष्ट्रपति से सुरक्षा देने की अपील की थी. समस्याग्रस्त इलाकों में पुलिस की मदद के लिए सैकड़ों सैनिक तैनात किए गए हैं.

अंतरराष्ट्रीय दखल और अपील

बौद्ध बहुल देश में रविवार को एक प्रमुख बौद्ध भिक्षु ने मुस्लिम बहुलता वाले शहरों को मिटा देने की बात कही थी. संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकार मामलों के प्रमुख नवी पिल्लई ने मामले पर चिंता जताते हुए कहा कि अगर हिंसा पर तुरंत काबू नहीं किया गया तो वह और इलाकों में भी फैल सकती है. पिल्लई ने कहा, "सरकार को हिंसा को तुरंत रोकने और घृणा फैलाने वाले भड़काऊ भाषणों को रोकने और सभी धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए कदम उठाने होंगे."

राजधानी कोलंबो में कई पश्चिमी देशों के दूतावासों ने वहां छुट्टियां मनाने गए अपने नागरिकों से अपील की है कि वे बाहर ना निकलें, भीड़भाड़ वाले इलाकों में ना जाएं और कर्फ्यू का ध्यान रखें. हिंसा के बाद से ही प्रभावित इलाकों में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया था जिसमें मंगलवार सुबह चार घंटों की ढील दी गई.

आरआर/एमजे (एएफपी, डीपीए)