शैवाल का जीवन
वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि बाइबल की कहानियों में जिस खूनी नदी के बारे में बताया गया है वह दरअसल शैवाल से भरी थी.
पानी की जरूरत
ज्वार भाटे के कारण शैवाल यानी एल्गी के अस्तित्व पर संकट पैदा हो जाता है. जब पानी उतरने लगता है तो शैवाल की तह पर नमक छूट जाता है. एक तो सूरज की गर्मी से शैवाल सूखने लगता है, फिर यह नमक भी उसके पानी को चूस लेता है.
मिली पनाह
मूंगा यानी कोरल शैवाल का सहजीवी है. मूंगे से इसे 90 फीसदी तक ऊर्जा मिलती है. यह तस्वीर ब्रेन कोरल की है. शैवाल इसके अंदर ही रहता है. मूंगा इसे रहने की जगह देता है, बदले में शैवाल धूप की मदद से ग्लूकोज बनाता है जो मूंगे के अस्तित्व के लिए जरूरी है.
खूबसूरत शैवाल
क्लोस्टेरियम नाम के इस शैवाल को जर्मनी में मोएंडषन यानी नन्हा चांद कहा जाता है. शैवाल की अलग अलग किस्मों की तुलना में इनका आकार काफी बड़ा होता है.
पानी या खून
बाइबल की कहानियों में कहा जाता है कि हजरत मूसा ने प्राचीन मिस्र के शासकों फैरो को चेतावनी दी थी कि यदि वे यहूदियों को आजाद करा कर इस्राइल नहीं ले गए, तो नील नदी का पानी खून में तब्दील हो जाएगा, उसमें मौजूद मछलियां सड़ जाएंगी और वहां बू आने लगेगी. वैज्ञानिकों का दावा है कि मूसा लाल शैवाल की बात कर रहे थे, जिसकी मौजूदगी से पानी लाल दिखने लगता है.
घास फूस
इस शैवाल को जर्मन में मेयरसालाट यानी समुद्री सलाद कहा जाता है. इसे देख कर खाने का मन तो नहीं करता लेकिन इसमें विटामिन ए, सी और बी12 के अलावा कई तरह के पोषक तत्व भारी मात्रा में मौजूद हैं.
शैवाल का जंगल
भूरे रंग का यह शैवाल का जंगल घोंघों यानी स्नेल जैसे समुद्री जीवों के लिए घरौंदे जैसा है. इन्हें देखने के लिए समुद्र के अंदर जाने की जरूरत नहीं, कई बार ये तट पर भी मिल जाते हैं.
हरी चादर
काई की ऐसी चादर हर जगह फैल सकती है. जरूरत है तो बस नमी और छाया की. पेड़ की छाल और पत्थरों पर भी काई जमा हो जाती है. इसी काई से जैविक ईंधन भी तैयार किया जाता है.