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शालीन कारोबारी को अलविदा

२२ अगस्त २०१४

वह जर्मनी के अमीरों में से एक और यूरोप की सबसे बड़ी रिलोकेशन के मालिक थे, लेकिन इसके बावजूद वह सड़क पर फेंकी बोतलें जुटाते और उन्हें बेचते. अमीरों को शालीनता की टॉर्च दिखाने वाले क्लाउस साप्फ ने दुनिया को अलविदा कहा.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

62 साल के क्लाउस साप्फ का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ. इसकी जानकारी उनकी कंपनी की वेबसाइट ने दी. वे 'साप्फ उमसुग' कंपनी के मालिकों में से एक थे. यह यूरोप की सबसे बड़ी रिलोकेशन कंपनी है.

साप्फ का जिक्र कभी महंगी कारों और विशाल बंगलों में रहने वाले रईसों की तरह नहीं हुआ. यूरोप में उनकी गिनती सबसे शालीन अमीर के तौर पर हुई. रिपोर्टों के मुताबिक उनका महीने का खर्च मात्र 300 यूरो था. एक बार जब साप्फ से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "मुझे पैसे की जरूरत नहीं पड़ती. पैसा हममें बराबरी की भावना खत्म कर देता है."

Deutschland Bronzestatue von Lenin bei Zapf-Umzüge in Berlin
साप्फ उमसुगतस्वीर: picture-alliance/dpa

जर्मन प्रेस के मुताबिक 1960 के दशक के अंत में बने वामपंथी और समाजवादी माहौल का साप्फ पर गहरा असर पड़ा. छात्र जीवन के दौरान वह सस्ते घर के चक्कर में बार बार कमरे बदलते रहे. इस दौरान उन्हें जो भी परेशानियां हुईं, उससे दूसरों को आराम दिलाने के लिए उन्होंने 1974 में साप्फ उमसुग कंपनी बनाई. कंपनी घर बदलने के दौरान सामान पैक करके दूसरी जगह पहुंचाती और चढ़ाती थी. कारोबार आज बहुत फैल चुका है. 600 कर्मचारियों वाली यह कंपनी आज 14 देशों में रिलोकेशन सर्विस देती है. उसके 6,00,000 ग्राहक हैं.

लेकिन इस सफलता ने साप्फ के व्यक्तित्व को नहीं बदला. उन्होंने कभी ड्राइविंग लाइसेंस नहीं लिया. कंपनी की गाड़ी दूसरे लोग चलाते और सामान चढ़ाने उतारने के काम साप्फ करते रहे. पत्रकार जब उनसे पूछते कि इतनी बड़ी कंपनी खड़ी करके बाद भी वो सामान उतारने और चढ़ाने का काम क्यों करते हैं तो साप्फ कहते, "लोग बड़ी मेहनत से काम करते हैं और पैसा बचाकर सामान खरीदते हैं, शिफ्टिंग में यह सामान टूटना नहीं चाहिए. साथियों के साथ मिलकर मैं इसी बात का ध्यान रखता हूं."

बर्लिन में शाम को टहलते वक्त साप्फ हमेशा थैले के साथ चलते. जहां उन्हें फेंकी हुई प्लास्टिक या बीयर की बोतल दिखती, वो उन्हें जमा कर लेते और सुपरमार्केट में बेचते.

ओएसजे/एमजे (डीपीए)