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शांति बने तब तो बातचीत होः मनमोहन

१५ सितम्बर २०१०

भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर की हिंसा से आहत प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि किसी तरह की बातचीत के लिए पहले शांति तो बने. उन्होंने कहा कि वह किसी से भी बात करने को तैयार हैं, लेकिन कुछ लोग घाटी में हिंसा भड़का रहे हैं.

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तस्वीर: AP

कश्मीर घाटी की स्थिति पर बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री ने एक बार फिर कहा कि बातचीत और बहस के जरिए ही किसी समस्या का समाधान हो सकता है और जिन लोगों को किसी भी तरह की शिकायत है, उन्हें प्रशासन से बात करनी चाहिए.

सिंह ने जोर देते हुए कहा, "हमें एक दूसरे से बात करनी है. लेकिन यह बात भी सच है कि सार्थक बातचीत हिंसा और टकराव रहित माहौल में संभव है. बातचीत तो तब होगी, जब शांत माहौल होगा."

सिंह ने घाटी में शांति की अपील करते हुए कहा कि उन्हें वहां मारे गए लोगों को लेकर बेहद दुख है. उन्होंने कहा कि रोजमर्रा की जिन्दगी बुरी तरह बाधित है, आम आदमी बेहद परेशान है और घाटी में भारी वित्तीय नुकसान भी हो रहा है, जिससे उन्हें काफी चिंता है.

मनमोहन ने हाल में कुरान कांड के बाद कश्मीर में भड़की हिंसा की ओर संकेत देते हुए कहा, "मुझे पक्का यकीन है कि ईद और उसके बाद जो कुछ भी हुआ, उससे हम सबको अफसोस होगा. खास तौर पर हजारों मील दूर बैठे किसी गुमराह व्यक्ति की वजह से."

सभी पार्टियों की इस बैठक में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, बीजेपी के नेता लाल कृष्ण आडवाणी, नितिन गडकरी, सुषमा स्वराज, पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती, नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख फारुक अब्दुल्लाह और दूसरी पार्टियों के कई नेता शामिल हुए. बैठक में कश्मीर की बिगड़ती स्थिति पर चर्चा हुई.

प्रधानमंत्री सिंह ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार ने घाटी के लोगों खास तौर पर युवाओं से बार बार अपील की है कि उन्हें हिंसा छोड़ देनी चाहिए. उन्होंने कहा, "हम किसी भी व्यक्ति या संगठन से बात करने को तैयार हैं. लेकिन उसे हिंसा का सहारा नहीं लेना चाहिए. यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे कुछ लोगों ने हाल के दिनों में बातचीत का रास्ता छोड़ दिया है."

कश्मीर में पिछले तीन महीने से हिंसा की घटनाएं जारी हैं, जिसकी वजह से 85 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. प्रधानमंत्री ने इस बात पर गहरा क्षोभ व्यक्त किया कि प्रदर्शनों में अब पुरुषों के अलावा महिलाएं और बच्चे भी शामिल होने लगे हैं. उन्होंने कहा कि कुछ प्रदर्शन जरूर अचानक तय किए जाते होंगे लेकिन इस बात में शक नहीं कि कुछ संगठन इसके लिए लोगों को तैयार कर रहे हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले तीन महीने की घटनाओं के बाद पूरे मामले को गंभीरता से देखना होगा. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में अलग अलग पार्टियों के नेताओं ने उन्हें कश्मीर की स्थिति पर चिंता जताते हुए खत लिखा है, जिसके बाद उन्होंने घाटी के जटिल मुद्दे पर सभी दलों की राय लेने के लिए इस सर्वदलीय बैठक को बुलाने का फैसला किया.

रिपोर्टः पीटीआई/ए जमाल

संपादनः ए कुमार