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शरणार्थियों पर जर्मनी में बनी सहमति

६ नवम्बर २०१५

बर्लिन में गठबंधन सरकार की तीनों पार्टियां शरणार्थियों को ले कर एक साझा नतीजे पर पहुंच गई हैं. चांसलर अंगेला मैर्केल, उप चांसलर जिगमार गाब्रिएल और बवेरिया राज्य के मुख्यमंत्री हॉर्स्ट जेहोफर ने बैठक के बाद यह घोषणा की.

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PK Pressekonferenz Flüchtlinge Angela Merkel Horst Seehofer Sigmar Gabriel Berlin Deutschland
तस्वीर: Reuters/F.Bensch

शरणार्थियों को लेकर जर्मनी में बड़ा विवाद है और चांसलर अंगेला मैर्केल अपने पार्टी के सांसदों और सहोदर पार्टी सीडीएसयू के दबाव में है जो शरणार्थियों की संख्या पर लगाम लगाने की मांग कर रहे हैं जबकि मैर्केल मानवीय आधार पर फैसले लेने की वकालत कर रही हैं. सीडीयू पार्टी की मैर्केल, एसपीडी के गाब्रिएल और सीएसयू के जेहोफर गुरूवार को शरणार्थियों को ले कर जिस समझौते पर पहुंचे हैं, उसके मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:

शरण के लिए आवेदन स्वीकार करने की प्रक्रिया को तेज किया जाएगा. जर्मनी की सीमा पर तीन से पांच नए रजिस्ट्रेशन सेंटर बनाए जाएंगे. इनमें से कम से कम दो बवेरिया में होंगे, जिसकी सीमा ऑस्ट्रिया से जुड़ी हुई है और जहां से सबसे अधिक संख्या में शरणार्थी देश में प्रवेश कर रहे हैं.

Infografik Asylerstanträge in der EU Q2 2015 Englisch

आवेदन की प्रक्रिया के पूरा होने तक शरणार्थियों को रजिस्ट्रेशन सेंटर के करीब ही रहने की जगह दी जाएगी. अगर वे वहां से कहीं और जाते हैं तो उसे नियमों का उल्लंघन माना जाएगा और इसका असर आवेदन पर भी पड़ सकता है. गलती दोहराने पर आवेदन अस्वीकार कर दिया जाएगा.

शरणार्थी मुद्दे पर सीएसयू के जेहोफर का रुख काफी कड़ा रहा है और मैर्केल को उनके विरोध का सामना करना पड़ा है. जेहोफर ने इस बात से इंकार किया कि रजिस्ट्रेशन सेंटर छोड़ कर जाने वाले लोगों को वे जेल में कैद करना चाहते हैं और जोर देते हुए कहा कि उनकी पहली प्राथमिकता देश में आ रहे लोगों को एक मानवीय स्थिति देना है.

रजिस्ट्रेशन के ये नए नियम उन लोगों पर लागू नहीं होंगे जो "सुरक्षित देशों" से आ रहे हैं, जैसे कि अल्बानिया और कोसोवो. आर्थिक कारणों से इन देशों से आने वाले लोगों को जर्मनी शरण देने से इंकार करता रहा है और आगे भी इसी फैसले पर कायम रहना चाहता है.

Infografik Verteilung Asylanträge EU erste Hälfte 2015 Englisch

गठबंधन ने उम्मीद जताई है कि रजिस्ट्रेशन सेंटर पर ही इन लोगों की पहचान की जा सकेगी और इन्हें वहीं से वापस लौटाया जा सकेगा. जेहोफर का कहना है कि ऐसे में जरूरतमंद लोगों के लिए शरणार्थी शिविरों में जगह बन सकेगी.

रजिस्ट्रेशन के बाद लोगों को नए पहचान पत्र दिए जाएंगे. "रिफ्यूजी आईडी" मिलने के बाद ही वे देश में शरण के लिए आवेदन दे सकेंगे. साथ ही जर्मनी में प्रवेश लेने के बाद अनिवार्य भाषा और समेकन कोर्स के लिए उन्हें खर्च का कुछ हिस्सा उठाना पड़ेगा. अब तक इन्हें निःशुल्क दिया जा रहा था.

शरणार्थियों को अलग अलग श्रेणियों में बांटा जाएगा और कई मामलों में कम से कम दो साल जर्मनी में बिताने के बाद ही उन्हें परिवार को अपने पास बुलाने की अनुमति दी जाएगी.

वहीं, दूसरी ओर जर्मनी की विपक्षी पार्टियों ने इस समझौते की आलोचना करते हुए कहा है कि इससे समस्या का समाधान नहीं निकलेगा. इस साल के अंत तक देश में आठ से दस लाख शरणार्थियों के पहुंचने की उम्मीद है.

आईबी/एमजे (डीपीए, एएफपी)