शरणार्थियों के लिए थमेगा 20 साल पुराना प्रोजेक्ट
२ जनवरी २०१६इस प्रोजेक्ट के शुरू होने के 20 साल बाद भी बड़ी संख्या में लोगों की जानकारी अब भी कागजों की कतरनों के रूप में बोरियों में भरी हैं. प्रोजेक्ट के संघीय कमिश्नर रोलांड यान के मुताबिक कागज के टुकड़ों के रूप में जमा फटे दस्तावेजों को हाथ से जोड़े जाने का काम 2016 की शुरुआत के साथ रोका जा रहा है. अभी तक नूरेम्बर्ग के एक कार्यालय में आप्रवासियों और शरणार्थियों के संघीय कार्यालय बीएएमएफ के कुछ अधिकारी इस काम को हाथ से कर रहे थे. लेकिन इस काम को फिलहाल रोके जाने का कारण अहम है.
स्टाजी आर्काइव
1995 से इस तरीके से 15 लाख पन्नों को जोड़ा जा चुका है. लेकिन इस समय जर्मनी के सामने दूसरे अहम मसले भी खड़े हैं जिसमें शरणार्थियों का मुद्दा बीएएमएफ के सामने सबसे बड़ा है. 2015 के अंत तक करीब 10 लाख शरणार्थियों ने जर्मनी में रहने की अर्जी दी. यान के स्टाफ के कई सदस्य जो अब तक स्टाजी फाइलों को जोड़ने में लगे थे, अब शरणार्थियों के पंजीकरण संबंधी कामों में मदद करेंगे. यान का कहना है कि "यह ज्यादा महत्वपूर्ण है." उन्होंने कहा कि उन्हें जब मदद की जरूरत थी तब संघीय कार्यालय ने भी उन्हें लोग देकर मदद की थी, अब वे कर रहे हैं.
2 जनवरी 1992 को जर्मनी के नए स्टाजी दस्तावेज कानून के आधार पर बर्लिन में औपचारिक रूप से स्टाजी आर्काइव खोला गया ताकि पूर्वी जर्मनी के लोग अपनी फाइलें देख सकें और जान सकें कि उनके बारे में खुफिया पुलिस किस तरह की जानकारी जमा कर रही थी. इस कानून के जरिए सरकारी कर्मचारियों की जांच भी संभव हो पाई ताकि कम्युनिस्ट शासन में हिस्सेदारी के आयाम का पता चले.
सॉफ्टवेयर की मदद
स्टाजी आर्काइव में देश के नागरिकों पर बनाई गई फाइलों को 111 किलोमीटर लंबे शेल्फ पर रखा गया है. उनमें सबूतों के तौर पर जमा की गई 16 लाख तस्वीरें, स्लाइड और निगेटिव फिल्में भी हैं. 1989 में साम्यवाद के अंत के साथ स्टाजी के सदस्यों ने लोगों के बारे में जानकारी वाले इन दस्तावेजों को जलाने और फाड़ने की कोशिश की. 1995 में इन्हें जोड़ने की मुहिम शुरू हुई. इस आर्काइव में नष्ट कर दिए कागजातों के 15,500 बैग भी हैं जो दिखाते हैं कि पूर्वी जर्मनी की खुफिया पुलिस स्टाजी किस व्यापक स्तर पर लगभग 6 लाख लोगों पर नजर रखती थी.
यूरोपीय इतिहास के इस चेहरे को जोड़ने की कोशिश में लगी टीम को शायद नए तरीकों की जरूरत है. लोगों की जानकारी वाले इन कागजात की कतरनों को कंप्यूटर से जोड़ पाना अभी संभव नहीं हो पाया है. साल 2007 से फ्राउनहोफर इंस्टीट्यूट ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार करने की कोशिश कर रहा है जिससे यह काम इलेक्ट्रॉनिकली किया जा सके. इस पर आधारित पायलट प्रोजेक्ट को 65 लाख यूरो की फंडिंग भी मिली है.
एसएफ/एमजे (डीपीए)