"शब्दकोश में असंख्य शब्द"
१५ अक्टूबर २०१४मैं डीडब्ल्यू टीवी हमेशा देखता हूं इसी कारण मैं डीडब्ल्यू हिन्दी को बहुत पसंद करता हूं. मेरा आपसे निवेदन है कि जो लोग फेसबुक पर आपकी रखी गई पोस्ट पर बेकार के कमेंट और उस विषय के अलावा किया हुआ कमेंट देते हैं उन्हें हटा देना चाहिए. बिना जरूरी कमेंट के कारण दूसरे लोगों को खेद व परेशानी होती है. चिराग सोलंकी
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मैं आपका बहुत पुराना श्रोता हूं. पहले आपको पत्र भेजा करता था और आपसे कैलेंडर, DW पिन व अन्य सामग्री भी मुझे मिलती रहती थी जो यहां के लोगों को बहुत पसंद आई. मेरा पत्र पहली बार 1991 में आपने कार्यक्रम में भी शामिल किया था. मैं रेडियो डॉयचे वेले के उर्दू विभाग का भी नियमित श्रोता था. परन्तु मुझे दुख है कि आपकी हर पहेली प्रतियोगिता में भाग लेने के बावजूद भी मुझे इनाम नही मिला जो कि अब बंद ही कर दी गई है. आपकी वेबसाइट पर सभी रिपोर्टें पढ़ता रहता हूं. समय की कमी के कारण फीडबैक नही लिख पाता जिसकी वजह से आप लोग मुझे इनाम नहीं देते हैं. आपने मेल का जवाब दिया इसके लिये मैं आपका दिल से शुक्रिया करता हूं. हिन्दी विभाग के तमाम लोगों को हमारा प्यार भरा नमस्कार. बेलाल खान, कोआथ, बिहार
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भागलपुर, बिहार से डा. हेमंत कुमार की एक कविताः
शब्दकोश में असंख्य शब्द होते हुए भी..... 'मौन' होना सबसे बेहतर है.
दुनिया के हजारों रंग होते हुए भी.....'काला और सफेद' रंग सबसे बेहतर है.
खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी..... 'उपवास' शरीर के लिए सबसे बेहतर है.
पर्यटन के रमणीक स्थल होते हुए भी..... 'बंद आंखों' से भीतर देखना सबसे बेहतर है.
सलाह देने वाले लोगों के होते हुए भी..... 'अपनी आत्मा' की आवाज सुनना सबसे बेहतर है.
जीवन में हजारों प्रलोभन होते हुए भी..... 'सिद्धान्तों पर जीना' सबसे बेहतर है.
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संकलनः विनोद चड्ढा
संपादनः आभा मोंढे