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वैवाहिक बलात्कार पर सोशल मीडिया संग्राम

३० अप्रैल २०१५

पत्नी से जबरन सेक्स करने को बलात्कार कहा जाए या नहीं, भारत में यह बहस छिड़ पड़ी है. सोशल मीडिया पर भी इसके पक्ष और विपक्ष में तर्कों की बाढ़ बह रही है.

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तस्वीर: Fotolia/detailblick

पुरुष प्रधान समाज और महिला अधिकार, ये संघर्ष नया नहीं है. लेकिन समय समय पर यह नए आयाम में सामने आता है. ताजा मामला वैवाहिक बलात्कार का है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस पर बहस तेज हो रही है.

ट्विटर पर #M.R.S और #MaritalRape नाम के हैश टैग चल रहे हैं, जिनमें कई संगठन और हस्तियां अपनी राय रख रही हैं. वैवाहिक बलात्कार के मुद्दे को उठाने वाले सोशल मीडिया अभियान ने भारत सरकार के तर्क पर तीखा तंज किया, "बधाई हो, बलात्कारी पतियों! वैवाहिक बलात्कार भारत में अभ भी अपराध नहीं है."

वरिष्ठ भारतीय पत्रकार राजदीप सरदेसाई के मुताबिक शादी को संस्कार बताते हुए वैवाहिक बलात्कार को भारत के लिए अप्रासंगिक बताना, पाषाण युगीन मानसिकता की याद दिला रहा है.

केटीएस नाम के एक यूजर ने राजदीप को जवाब दिया है, "पश्चिम की सोच के अलग जो कुछ भी है, वो पाषाण है, जाहिर है."

भारत की वरिष्ठ टीवी पत्रकार बरखा दत्त ने कुछ दिन पहले वैवाहिक बलात्कार पर एक टीवी बहस की. महिला अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली कई हस्तियों को यह बहस रास नहीं आई. लेखिका मधु किश्वर ने इसे छिछली बहस करार दिया, "हमें वैवाहिक बलात्कार की छुपी सच्चाई पर चर्चा करनी चाहिए और इससे निपटने के तरीके खोजने चाहिए. लेकिन बरखा दत्ता विदेशी चंदे से चलने वाले एनजीओ द्वारा पहले से निर्धारित एजेंडे के साथ आईं."

लेकिन कई लोगों को मधु किश्वर की यह बात रास नहीं आई. उन्होंने लिखा कि "मधु किश्वर वैवाहिक बलात्कार एक सच्चाई है. अगर आप बरखा के साथ आंख नहीं मिला सकतीं तो बहस को कमजोर न करें."

ब्रिटेन में घरेलू हिंसा के खिलाफ आवाज उठाने वाले पहली मई से एक अभियान भी छेड़ रहे हैं. इसका संदेश है कि, "प्रेम कष्ट नहीं देता."

ओएसजे/आईबी