'झुग्गी या महल'
५ अप्रैल २०१४इस इमारत को शहर की आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र बनना था. लेकिन 1994 में इसके मालिक डेविड ब्रिलेमबोर्ग की अचानक मौत के बाद के कारण यह प्रोजेक्ट अधूरा रह गया.
2007 से यहां लोगों ने अवैध तरीके से रहना शुरू कर दिया. तत्कालीन राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज की सोशलिस्ट सरकार ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया. नतीजा ये हुआ कि वहां रहने वालों की संख्या बढ़ते बढ़ते अब करीब 3,000 तक पहुंच चुकी है. काराकस के बहुत से स्थानीय लोग 'टावर ऑफ डेविड' को चोरों और बदमाशों का अड्डा समझते हैं.
पिछले एक दशक में ही काराकस की बहुत सी इमारतों पर अवैध कब्जा कर लोगों ने रहना शुरू कर दिया. उन जगहों से हिंसा और आधिपत्य की लड़ाईयों की खबर आना आम है. इस तरह के कब्जों को कई लोग भूतपूर्व नेता शावेज के अंदाज की क्रांति से जोड़ कर देखते हैं. जब इस इमारत में काम बंद हुआ तब तक बहुत सारी चीजें अधूरी थीं. पहली 28 मंजिलें तो रहने लायक बन चुकीं थीं लेकिन कई खतरनाक खाली जगहें भी थीं. जो लोग यहां रहने आए. उन्होंने पानी, बिजली और कई सारे छोटे छोटे काम खुद करवाए.
आज यहां रहने वाले परिवार एक महीने के लिए स्थानीय मुद्रा में करीब 200 बोलिवार या 32 अमेरिकी डॉलर की 'कांडोमियम' फीस देते हैं. इन पैसों से इस क्षेत्र में चौबीसों घंटे सुरक्षा का इंतजाम किया जाता है. 27वीं मंजिल पर रहने वाले 36 साल की थाइस रूईज कहती हैं, "हमारे यहां बाहर के मुकाबले कहीं ज्यादा सुव्यवस्था और कहीं कम अपराध हैं." यह सच है कि यहां के निवासी इस इमारत में रहने के लिए जितने कम पैसे देते हैं वह इस संपत्ति की असल कीमत के मुकाबले कुछ भी नहीं. 'टावर ऑफ डेविड' में रहने वालों के घरों में अच्छे फर्निचर से लेकर बालकनी में बार्बिक्यू तक का इंतजाम होता है. लिफ्ट न होने के बावजूद लोग ऊंची ऊंची मंजिलों तक एक एक चीज को सीढ़ियों के रास्ते ऊपर पहुंचाते हैं.
वैसे घरों के अंदर जगह की काफी कमी है. ऊपर की मंजिलों पर रहने वालों के पास बड़ी खुली जगहें हैं लेकिन नीचे वालों को यह सुख नहीं मिलता. इस झुग्गी कही जाने वाली इमारत में दुकानें, डेंटिस्ट के क्लीनिक से लेकर ब्यूटी सैलून भी हैं.
आरआर/एएम (रॉयटर्स)