वीडियो: ट्रक ड्राइवरों को सलाम
२६ अगस्त २०१६हिमालय की गोद में बसे लद्दाख में दवाओं की जरूरत हो या मणिपुर के गांवों में बिजली के पोलों की, ये जिम्मेदारी अंत में ट्रक ड्राइवरों पर ही आती है. सामान लोड कर वे एक हेल्पर के साथ सफर पर निकल पड़ते हैं.
रास्ते में आने वाले तमाम शहरों को उन्हें रात को पार करना पड़ता है क्योंकि दिन में अक्सर भारी वाहनों के लिए नो एंट्री होती हैं. अगर देर हो गई तो अगला दिन बर्बाद होगा. मालिक या सामान भेजने वाले की फटकार सुननी पड़ेगी. रास्ते में पुलिस नाके, चुंगी, टैक्स और कुछ तुनक मिजाज लोगों से सामना तो आए दिन होता रहा है.
इसके बावजूद वो सामान पहुंचाते हैं. कई बार तो ऐसा मौका आता है जब वे किसी नए रास्ते पर होते हैं, भूलते भटकते, लोगों से पूछते पाछते वे फिर भी आगे बढ़ते हैं. अगर कहीं ट्रक को बैक करना पड़े, तो बाकी लोग भी उन्हें ताना सुनाने लगते हैं. कई दिन से गाड़ी चला रहे ट्रक ड्राइवर की परेशानी देखने बजाए उन्हें दो मिनट इंतजार करना अखरता है. वे लोग भूल जाते हैं कि उनके घर आने वाला राशन, उनके कपड़े, दवाएं और दूसरा सामान सब इन्हीं ड्राइवरों की मेहनत से आया है.
रास्ता खराब भी हो तो समय से माल पहुंचाने का दबाव उन्हें जोखिम लेने पर मजबूर करता है. ट्रक के भीतर भगवान की तस्वीरें या उसमें लिखा 786 नंबर, अंजान रास्तों पर उनका विश्वास बढ़ाते हैं. ट्रक को वे जबरदस्त ढंग से सजाए रखते हैं, उसका ख्याल रखते हैं, वे जानते हैं कि गाड़ी फिट रहेगी तो उनका घर भी चलता रहेगा. बाकी दुनिया के ताने तो रास्ते में पड़ने वाली इमारत की तरह पीछे छूट ही जाएंगे.
(देखिये दुनिया के सबसे खतरनाक रेल रूट)