वीडियो: जंगल के राजा का गुस्सा
२ मार्च २०१६जंगल में शिकारी की भूमिका निभाने वाली ये बड़ी बिल्लियां स्वभाव में एक दूसरे से काफी अलग होती हैं. शेर जहां झुंड में शिकार करते हैं. वहीं तेंदुआ अकेले शिकार करने के लिए रात का सहारा लेता है. चीता रफ्तार के दम पर छोटे शिकार को दबोचता है.
बाघ इनसे अलग है. विशेषज्ञों के मुताबिक पेट भरा हो तो शेर, तेंदुआ और चीता आमतौर पर शिकार नहीं करते. लेकिन बाघ का अंदाज राजसी सा होता है. वह अपने इलाके में बाहरी दखल बर्दाश्त नहीं करता. जिस वक्त उसे कुछ अखरता है, वह तुरंत आक्रमण के मूड में आ जाता है. शेर, तेंदुआ और चीता आम तौर पर ताकत और शारीरिक आकार के हिसाब से शिकार चुनते हैं, लेकिन घात लगाकर शिकार करने वाला बाघ ये सब नहीं देखता.
भारत में नेशनल पार्कों में सफारी के दौरान भी गाइड बार बार सैलानियों को आगाह करते हैं कि वे हाथी या जिप्सी को बाघ के करीब ले जाने की जिद न करें. यह खतरनाक हो सकता है. इसका सबूत असम के काजीरंगा नेशनल पार्क के बाहरी इलाके में भी मिला. कुछ साल पहले वहां वन अधिकारियों की एक टीम हाथियों के साथ पहुंचीं. बाघ ने इसे अपने इलाके में दखल माना और हाथी की परवाह किए बिना हमला कर दिया. हमले में महावत का हाथ जख्मी हो गया.