वीडियो: इंसान नहीं, काम वासना में डूबे हैवान रहते हैं
३ जनवरी २०१७भारत में पुरुष अंडरवियर पहनकर कहीं भी नहा सकते हैं, लेकिन महिलाओं का दुपट्टा हल्का सा सरक जाए, तो कुंठा से भरी कई आंखें न जाने क्या देखने की कोशिश करती हैं. घूरा जाना, भीड़ भाड़ में महिलाओं को गंदी मानसिकता से छूना, बस या ट्रेन में सफर करते हुए जानबूझकर महिला को परेशान करना, ये बड़ी आम बातें हैं.
लड़की अगर पुरुष मित्र के साथ किसी सुनसान जगह पर जाए और वहां कुछ लड़के पहुंच जाए तो फिर नैतिकता के नाम पर पिटाई होने लगेगी. सबक सिखाने के लिए लड़की की इज्जत भी तार तार की जा सकती है.
हैरानी की बात है कि नैतिकता की दुहाई देने वाले कई लोग महिलाओं के सामने ही मां बहन की गालियां देंगे, होली में जबरदस्ती उनकी चोली तक पहुंचने की कोशिश करेंगे, मिस्ड कॉल मार कर उन्हें परेशान करेंगे.
बेंगलुरु में हुई सामूहिक यौन दुर्व्यवहार की घटना भी समाज की इसी कुंठित मानसिकता का सबूत है. दुर्भाग्य की बात है कि महिलाओं के साथ कैसे पेश आना चाहिए, ये सीखने के बजाए झुंड का सहारा लो और टूट पड़ो वाली संस्कृति का विस्तार हो रहा है. पुलिस, प्रशासनिक कर्मचारी और नेता भी इसी मानसिकता वाले समाज से आते हैं, लिहाजा उनके लिये भी ये छोटी मोटी बातें हैं. वरना, इस समस्या का इतना ज्यादा विस्तार थोड़े ही होता.