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विश्वकप से शुरू माहौल को जारी रखना चाहते हैं रूसी फैंस

१३ जुलाई २०१८

फीफा वर्ल्ड कप खत्म होने को है, लेकिन फुटबॉल फीवर को उतरने में वक्त लगेगा. मेजबान रूस की सड़कें दिन-रात मनाए जा रहे जश्न की गवाह रही हैं. अब रूसी नहीं चाहते स्ट्रीट पार्टी और पुलिस का नया दोस्ताना रवैया खत्म हो.

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WM2018 - Russische Fans
तस्वीर: picture-alliance/dpa/TASS/M. Pochuyev

फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी मिलते ही रूस के 11 शहरों को इसके लिए तैयार करने की शुरूआत हुई थी. इन शहरों का मानो दोबारा जन्म हुआ क्योंकि यहां की मूलभूत सुविधाएओं का पूरी तरह जीर्णोद्धार हो गया. फुटबॉल पार्क में तब्दील हो चुके मॉस्को के लाल चौक पर आने वाले रूसी फैन का कहना है, "यहां उत्सव चल रहा है. मुझे खुशी है कि वर्ल्ड कप के खत्म हो जाने के बाद भी हमें दुकानों से सस्ता सामान मिल सकेगा."  फुटबॉल के खुमार में मस्त एक युवती ने बताया कि हर कोई यहां आकर घूमना-फिरना चाहता है. "मेट्रो ट्रेनों की रफ्तार बढ़ गई है. मैं चाहती हूं कि वर्ल्ड कप के बाद भी सबकुछ ऐसा ही रहे."

रूस की छवि बेहतर हुई

पिछले चार हफ्तों में आए लाखों फुटबॉल प्रेमियों ने रूस के इन 11 शहरों को जश्न में डुबो दिया है. राजधानी मॉस्को की निकोलस्काया स्ट्रीट में चमचमाती लाइटें, नाच-गाना और सेल्फी लेने का दौर जारी है. शराब पीते युवकों को देख आमतौर पर टोकने वाली पुलिस भी दोस्ताना हो चुकी है और खुशी से फोटो खिंचवा रही है. लाल चौक आए रूसी फैंस कहते हैं कि उन्हें नए बने स्टेडियमों को देख गर्व महसूस होता है. यह हमारी आने वाली पीढ़ी को मिलेगा.

रूसी लोग चुकाएंगे वर्ल्ड कप की कीमत

फीफा वर्ल्ड कप ने रूस की इमेज को नए सिरे से बनाने का काम किया है. इसके लिए रूस ने 683 करोड़ रूबल यानी करीब 90.4 करोड़ यूरो खर्च किए. इसमें से अधिकतर इन्फ्रास्टक्चर को सुधारने और निर्माण पर खर्च हुए. आयोजकों को उम्मीद है कि भविष्य में इससे अधिक रूस के पास वापस आएगा क्योंकि पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. कारनेगी मॉस्को सेंटर में एनालिस्ट अलेक्जैंडर बाउनोव के मुताबिक, सोशल मीडिया पर तस्वीरें देखी जा रही हैं और लोगों में सकारात्मक संदेश जा रहा है.

पश्चिम से नजदीकी

फीफा वर्ल्ड कप ने भले ही दुनिया को रूस का अलग चेहरा दिखाया हो, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक स्टेनस्लाव बेलकोव्स्की मानते हैं कि राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन ने इस दौरान कोई दिलेरी नहीं दिखाई जैसा वे 2014 सोची के शीतकालीन ओलंपिक में कर चुके थे. तब पुतिन ने रूस के एक विवादित बैंड के 2 सदस्यों को जेल से रिहा कर दिया था और पूर्व ऑयल टाइकून व आलोचक मिखाइल खोदोरकोव्स्की को माफी दे दी थी.

आखिर क्या है यूरोपीय फुटबॉल की कामयाबी का राज

वहीं, इस बार रूसी जेलों में कैद यूक्रेनी नेताओं की रिहाई की मांग कर रहे फिल्म निदेशक ओलेग सेंटसोव जेल में ही बंद होकर भूख हड़ताल करते रहे. धोखाधड़ी के मामले में नजरबंद फिल्म निदेशक काइरिल सेरेब्रेनिकोव की भी कोई सुनवाई नहीं हुई. बेलकोव्स्की के मुताबिक, शायद पुतिन 2014 की गलतियों को दोहराना नहीं चाहते थे क्योंकि तब दरियादिली दिखाकर भी पश्चिमी देशों से नजदीकी नहीं बढ़ पाई थी. वह कहते हैं, "राजनीति और फुटबॉल, दो अलग-अलग मुद्दे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ चुके रूस का भविष्य फुटबॉल नहीं, बल्कि क्रीमिया पर कब्जा या दक्षिणपूर्वी यूक्रेन का युद्ध तय करेगा."

रिपोर्ट: एमिली शेरविन

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