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''विवाद के माहौल में जापानी पीएम से नहीं मिलेंगे''

२१ सितम्बर २०१०

समुद्री क्षेत्र में हुए विवाद के चलते चीन ने कहा है कि न्यू यॉर्क में संयुक्त राष्ट्र शिखर वार्ता के दौरान जापान के प्रधानमंत्री से मिलना ठीक नहीं रहेगा. जापान ने चीन से राष्ट्रवाद को हवा देने से बाज आने के लिए कहा.

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जापान विरोधी प्रदर्शनतस्वीर: AP

चीन और जापान के बीच विवाद दो हफ्ते पहले तब शुरू हुआ जब चीन के मछुआरों की एक नौका जापान के दो गश्ती जहाजों से टकरा गई. इस घटना के बाद चीनी नौका के कैप्टन को गिरफ्तार कर लिया गया. उस पर संदेह है कि उसने जानबूझकर जापानी जहाजों को टक्कर मारी. रविवार को जापान की एक अदालत ने उसकी हिरासत की अवधि को 10 दिन के लिए बढ़ा दिया है जिससे चीन बेहद नाराज है और उसने सरकारी स्तर पर संबंधों से पीछे हटने का फैसला ले लिया.

मंगलवार को चीन ने कहा कि ऐसे माहौल में चीन और जापान के प्रधानमंत्रियों के बीच न्यू यॉर्क में बातचीत नहीं हो सकती. चीन ने नौका के कैप्टन को गिरफ्तार किए जाने की आलोचना की है और अब तक चीन जापान के राजदूत को छह बार बुला चुका है.

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पूर्व चीनी सागर की घटनातस्वीर: picture-alliance/ dpa

चीन ने नौका के कैप्टन को बिना शर्त तुरंत रिहा करने की मांग की है. वहीं जापान कह रहा है कि चीन को इस मुद्दे पर राष्ट्रवाद को हवा नहीं देनी चाहिए. हाल के सालों में यह पहली बार है जब दोनों देशों के बीच इतना गंभीर कूटनीतिक संकट पैदा हो गया है.

जापान के प्रमुख कैबिनेट सचिव योशितो सेनगोकू का कहना है, "अहम बात यह है कि जापान, चीन या फिर अन्य देशों को संकीर्ण और चरम राष्ट्रवाद को हवा नहीं देनी चाहिए. पूर्वी एशिया में शांति और विकास के लिए हम बातचीत के सभी रास्ते आजमाना चाहते हैं ताकि स्थिति को और बिगड़ने से रोका जा सके."

नौका और जहाज टकराने की यह घटना पूर्व चीनी सागर की हैं जिस पर दोनों देश अपना अधिकार जताते हैं. इस जलक्षेत्र में मछली बड़ी संख्या में हैं और यहां तेल और गैस के भंडार भी हैं. ताइवान भी इस पर अपना दावा जता चुका है. चीन में इस मुद्दे पर लोगों में रोष है और कुछ शहरों में प्रदर्शन हुए हैं जहां जापान से कैप्टन को रिहा करने की अपील की गई है. जापान ने कहा है कि इस मामले में कानून के मुताबिक ही कार्रवाई की जाएगी.

जापान और चीन के बीच रिश्ते नाजुक डोरी से बंधे रहे हैं हालांकि 2001-06 के बीच रिश्तों में सुधार आया. अब दोनों देश बड़े आर्थिक साझेदार भी हैं और अर्थव्यवस्था के लिए जरूरत भी.

2009 से चीन जापान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 147 अरब डॉलर पहुंच चुका है. कूटनीतिक विवाद सुलझने की सबसे बड़ी उम्मीद भी आर्थिक रिश्तों से ही नजर आ रही है क्योंकि दोनों देश अपने लिए एक दूसरे की अहमियत भी समझते हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: ओ सिंह

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