विदेश का सपना दिखा कर नेपालियों को ठगते एजेंट
१४ दिसम्बर २०१६श्रेष्ठा 14 महीने तक सेंट लुसिया में रहे और अब वापस नेपाल पहुंच गए हैं. जेब खाली हो गई है और इंटरनेशनल डिग्री पाने की चाहत एक दुस्वप्न बन गई है. श्रेष्ठा उन सैकड़ों नेपाली छात्रों में शामिल हैं, जो दलालों को झांसे में फंस रहे हैं. ये दलाल उनसे हजारों डॉलर की रकम लेते हैं और विदेश में पढ़ाई के सपने दिखाते हैं. लेकिन फिर ये लोग या तो पैसा लेकर फरार हो जाते हैं या फिर छात्रों को किसी फर्जी कॉलेज में दाखिला दिला देते हैं.
नेपाल में आजकल एजुकेशनल कंसल्टेंसीज की बाढ़ सी आ गई है. इनके जरिए छात्रों को ये समझाने की कोशिश होती है कि विदेशों में पढ़ना नेपाल के मुकाबले कहीं बेहतर है. ऐसे में, विदेशी डिग्री और बढ़िया करियर के लालच में छात्र कर्ज लेकर भी इन एजेंटों की जेब भर रहे हैं.
पिछले साल नेपाल से 38 हजार छात्र विदेशों में पढ़ाई का सपना लेकर रवाना हुए. लेकिन इनमें से कइयों के सपने बिखर गए. इनमें श्रेष्ठा भी शामिल हैं. उनसे वादा किया गया था कि उनका दाखिला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्य डिप्लोमा कोर्स में होगा, उसके बाद पेड इंटर्नशिप कराई जाएगी और फिर वहां से अमेरिका के किसी कॉलेज में भेज दिया जाएगा. लेकिन जब श्रेष्ठा सेंट लुसिया पहुंचे तो उनके सामने लैम्बर्ड एकेडमी नाम की एक दोमंजिला इमारत थी जिसमें तीन क्लासरूम थे. वो बताते हैं, "मैं तो हैरान रह गया. लेकिन मैं क्या कर सकता था. मेरे माता-पिता ने इतना पैसा खर्च किया ताकि मैं यहां आकर पढ़ाई कर सकूं."
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लाखों नेपाली लोग विदेशों में काम करते हैं. लेकिन खाड़ी और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में ज्यादातर नेपाली लोग या तो घरेलू नौकर के तौर पर काम करते हैं या फिर निर्माण क्षेत्र में लगे हैं. उनकी तरफ से अपने परिवार को नेपाल में भेजे जाने वाली रकम देश की आय का एक बड़ा साधन है. यह जीडीपी का लगभग 30 प्रतिशत है. लेकिन सालों से दलाल विदेशों में पढ़ाई या काम करने की इच्छा रखने वाले लोगों का फायदा उठा रहे हैं
काठमांडू पुलिस की क्राइम ब्रांच के प्रमुख सर्वेंद्र खनाल कहते हैं, "जब छात्र विदेश में फंस जाते हैं तो यह एक तरह की मानव तस्करी है." उनका कहना है कि नेपाली छात्रों को चिली, मलेशिया और हॉलैंड समेत कई देशों में उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है.
श्रेष्ठा जब चार अन्य नेपाली छात्रों के साथ सेंट लुसिया पहुंचे तो उसके एक महीने बाद ही अधिकारियों ने लैम्बर्ड्स एकेडमी को बंद कर वहां से तीन भारतीयों और एक बांग्लादेशी को गिरफ्तार किया. उन पर मानव तस्करी के आरोप लगे. उन्होंने चश्मदीद के तौर पर 60 नेपाली छात्रों को भी हिरासत में ले लिया. श्रेष्ठा बताते हैं, "हम तो पीड़ित थे लेकिन हमें कैदी जैसा महसूस हो रहा था. हमारे पासपोर्ट जब्त कर लिए गए. हम पढ़ नहीं सकते थे, काम नहीं कर सकते थे. हम फंस गए थे."
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श्रेष्ठा ने वहां सरकारी शिविर में 14 महीने गुजारे और उसके बाद उन्हें स्वदेश आने दिया गया. लेकिन एक दर्जन नेपाली छात्र वहीं रह गए. वो बताते हैं, "अन्य छात्रों ने एजेंट को सेंट लुसिया की परिस्थितियों के बारे में चेतावनी दी थी, लेकिन उसने फिर भी मुझे और चार छात्रों को वहां भेजा."
नेपाल में एजुकेशनल कंसल्टेंसी एसोसिएशन के प्रमुख प्रकाश पांडे कहते हैं कि सरकार ने इस बारे में कोई नियम नहीं बनाए हैं जिसके चलते धोखाधड़ी की संभावना पैदा होती है. उनका कहना है, "दुर्भाग्य से कड़ी निगरानी न होने के कारण, फटाफट पैसा बनाने के चक्कर में कई लोग इस व्यवसाय में आ रहे हैं और मासूम छात्रों को फंसा रहे हैं."
पिछले साल काठमांडू पुलिस ने ऐसी दर्जनों फर्जी कंसल्टेंसियों पर छापे मारे थे. नेपाल में अभी 506 एजुकेशनल कंसल्टेंसियां रजिस्टर्ड हैं जबकि शिक्षा मंत्रालय के पास ऐसी 900 अर्जियां और पड़ी हैं. शिक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी गौरी शंकर पांडे कहते हैं, "हम मानते हैं कि कुछ अनियमिताएं हुई हैं. लेकिन माता-पिता और छात्रों को भी सतर्क रहना चाहिए. उन्हें सिर्फ ऐसी कंसल्टेंसी से मदद लेनी चाहिए जो रजिस्टर्ड हों."
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28 वर्षीय एक महिला का कहना है कि उसका ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने का सपना बिखर गया क्योंकि एजेंट पैसे लेकर भाग गया और अब वह 10 हजार डॉलर के कर्ज में दबी है. नाम न जाहिर करने की शर्त पर इस महिला ने बताया, "वह न सिर्फ मेरे पैसे के साथ भाग गया, बल्कि उसने मेरे नाम से गलत दस्तावेज भी बनाए थे. इसकी वजह से ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों ने मुझे ब्लैकलिस्ट कर दिया और मैं अब वीजा के लिए अप्लाई नहीं कर सकती हूं." यह महिला नर्स बनना चाहती थी.
यह दलाल अब पुलिस की हिरासत में है जिस पर 10 से ज्यादा लोगों से एक लाख डॉलर तक ठगने के आरोप हैं. यह महिला कहती है, "मेरे सपने बहुत बड़े थे. मैंने उस पर भरोसा किया था. लेकिन अब मुझे नहीं पता कि मैं क्या करूं."
एके/वीके (एएफपी)